महबूबा ने कहा भारत पाक के बीच टकराव भंयकर आपदा ला सकता है

Edited By ,Updated: 30 Sep, 2016 11:33 AM

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मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जम्मू एवं कश्मीर में सीमाओं पर तनाव में वृद्धि पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि सीमा पर बढ़ते तनाव को कम करने के लिए अगर कोई तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो टकराव एक भयंकर आपदा की ओर ले जाएगा।

श्रीनगर : मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जम्मू एवं कश्मीर में सीमाओं पर तनाव में वृद्धि पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि सीमा पर बढ़ते तनाव को कम करने के लिए अगर कोई तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो टकराव एक भयंकर आपदा की ओर ले जाएगा।


क्षेत्र में नवीनतम स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमाओं पर चल रहे टकराव में वृद्धि के खतरनाक परिणामों को देखते हुए नई दिल्ली और इस्लामाबाद को संचार चैनलों को खोलना चाहिए।
संयम का आह्वान करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को शांति की सबसे बड़ी जरूरत है क्योंकि उन्होंने राज्य में रक्तरंजित हिंसा की वजह से भारी त्रासदियों को सहा है। हमें जम्मू-कश्मीर में हिंसा की वजह से बेहद नुकसान उठाना पड़ा है और बहुत अच्छी तरह से इसके खतरों और परिणाम पता है। इस क्षेत्र में युद्ध जैसी स्थिति को सामप्त करने के लिए उन्होंने भारत और पाकिस्तान के राजनीतिक नेतृत्व से आह्वान करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में और मुख्य भूमि के भीतर लोगों के लिए सीमाओं पर शांति अत्यंत महत्व है और मुझे आशा है कि दोनों देशों के राजनीतिक नेतृत्व भी इसी भावना के साथ हल निकालेंगे।


महबूबा मुफ्ती ने कहा कि छह दशकों से अधिक समय से एक अंतहीन प्रतिद्वंद्विता में उलझे बंधुओं की तरह, भारत और पाकिस्तान को अच्छी तरह से पता है कि प्रतिद्वंद्विता को एक परिपक्व, उत्पादक रिश्ते में बदलने मुश्किल होगा। लेकिन दुश्मनी जारी रखने का परिणाम बहुत बुरा होगा। परमाणु चरण के उपरांत संवाद की आवश्यकता का अधिक महत्व हो गया है।
मुद्दों को हल करने के लिए युद्ध कोई विकल्प नहीं है कि बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षेत्र को पेरषान करने वाले गरीबी और आर्थिक अभाव के खिलाफ भारत और पाकिस्तान को एक साथ लडऩा चाहिए। दो परमाणु हथियारों से लैस पड़ोसियों को गरीबी और उनकी बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं, और ऊर्जा जरूरतों के साथ उन्मूलन, नए और अधिक विभिन्न बाजारों और व्यापार के अवसरों के लिए की जरूरत सहित सामाजिक विकास के क्षेत्र में सहयोग करना चाहिए।


मुख्यमंत्री ने 9 दिसंबर, 2015 को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तथा उनके पाकिस्तानी समकक्ष सरताज अजीज के साथ बैठक के बाद इस्लामाबाद में जारी संयुक्त वक्तव्य की भावना को पुनर्जीवित करने के लिए कहा। संयुक्त वक्तव्य में दोनों पक्षों ने शांति और सुरक्षा, विश्वास बहाली के उपाय, जम्मू एवं कश्मीर, सियाचिन, सर क्रीक, वुल्लर बैराज/तुलबुल नौवहन परियोजना, आर्थिक और वाणिज्यिक सहयोग, आतंकवाद का मुकाबला, नारकोटिक्स कंट्रोल, मानवीय मुद्दे, लोगों के आदान-प्रदान करने और धार्मिक पर्यटन पर एक व्यापक द्विपक्षीय वार्ता शुरू करने के लिए सहमत हुए थे।


वार्ता का कोई विकल्प न होने पर जोर देते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि इतिहास गवाह है कि दो युद्ध लडऩे के बाद भी भारत और पाकिस्तान को फिर मुद्दों को हल करने के लिए वार्ता की मेज पर वापस आते हैं। मुझे यकीन है कि क्षेत्र में व्याप्त निराशाजनक परिदृश्य के बीच, शांतिपूर्ण साधनों की अषा के साथ मुद्दों को हल करने में फिर से जमीन पर खड़े होंगे और दोनों देशों के राजनीतिक नेतृत्व, शांति और ताजा संकल्प के साथ मेल-मिलाप को पुनर्जीवित करेंगे। द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से समस्याओं को हल करना दोनों देशों के हित में होगा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय सत्ता की राजनीति के मानकों पर यही एक रास्ता है।


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