Edited By ,Updated: 13 Oct, 2015 12:45 PM
अगर आप भी नवरात्रों पर माता वैष्णोदेवी की यात्रा कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। वैष्णोदेवी की यात्रा कर रहे भक्त घोड़े-खच्चर की सवारी करने से बचें। दरअसल, घोड़ों में फैलने वाली संक्रमित बीमारी ग्लैंडर्स ने विकराल रूप ले लिया है।
जम्मू: अगर आप भी नवरात्रों पर माता वैष्णोदेवी की यात्रा कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। वैष्णोदेवी की यात्रा कर रहे भक्त घोड़े-खच्चर की सवारी करने से बचें। दरअसल, घोड़ों में फैलने वाली संक्रमित बीमारी ग्लैंडर्स ने विकराल रूप ले लिया है।
खतरनाक बात यह है कि यह बीमारी घोड़ों से मनुष्य में भी संचरित होती है। खास बात यह है कि इनके इलाज की अनुमति तक नहीं है। मनुष्य को होने पर निमोनिया या फिर चमड़ी पर गांठें बनती हैं और यह गांठे फट जाती है। समय से अगर इसका पता न चले तो मौत हो जाती है। यात्रा के दौरान आपको बस घोड़ों और खच्चर से दूर रहना है।
अगर आपको किसी घोड़े की नाक से लगातार पानी गिरना, या फिर शरीर पर कटे-फटे होना नजर आता है तो कतई उसकी सवारी न करें। राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई) हिसार के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.संदीप खुराना बताते हैं कि दो महीने पहले इसकी शुरुआत हुई थी और अब तक 10 घोड़ों और इतने ही खच्चर को मारा जा चुका है। करीब 20 मामले और पॉजिटिव पाए गए है। नवरात्रि को देखते हुए वैज्ञानिक की एक टीम ने जम्मू के कटरा स्टेशन पर ही डेरा डाल दिया है।
जर्मनी के एजेंटस ने रूस के घोड़ों में इसे फैलाया था। इसके लिए पानी में इस बीमारी के कीटाणु मिला दिए गए थे। इसके कारण बड़े पैमाने पर रूस में घोड़ों की मौत हुई थी और मनुष्य भी इसके शिकार हुए थे।