कश्मीर में महिलाओं ने पाकिस्तानी झंडों के साथ निकाली रैली

Edited By ,Updated: 02 Aug, 2016 03:34 PM

protest rally by women with pak flag in kashmir

अलगववादियों द्वारा आहूत बंद और प्रशासन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से श्रीनगर सहित समूची घाटी में मंगलावर को 25वें दिन भी आम जनजीवन प्रभावित रहा।

श्रीनगर : अलगववादियों द्वारा आहूत बंद और प्रशासन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से श्रीनगर सहित समूची घाटी में मंगलावर को 25वें दिन भी आम जनजीवन प्रभावित रहा। उधर, श्रीनगर और घाटी के कई हिस्सों में महिलाओं ने आज नागरिक हत्याओँ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। अलगाववादियों ने आज महिलाओं से उनके संबंधित क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया था। दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिला के बुनगाम इलाके में सैंकडों महिलाएं सडक़ों पर उतर आई और कश्मीर में नागरिक हत्याओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। सुरक्षाबलों ने उनको खदेडने के लिए आंसू गेस का इस्तेमाल किया। पुलवामा जिला के पांपोर कस्बे में भी महिलाओं ने विरोध रैली निकाली ।


सोमवार की रात अज्ञात हमलावरों ने उनके घर पर पेट्रोल बम फेंका और फरार हो गए। हमले के वक्त अख्तर भी घर पर मौजूद नहीं थे। घटना की खबर मिलते ही पुलिस अधिकारी उनके घर पर पहुंचे।
बता दें कि शिक्षा मंत्री का घर सिविल लाइंस इलाके के पर्रिपोरा में स्थित है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि बीते एक वर्षो से नईम अख्तर इस घर में नहीं रह रहे है। मंत्री बनने के बाद से वो बेहद सुरक्षा वाले गुपकार रोड पर स्थित सरकारी आवास में अपने परिवार वालों के साथ रहते हैं।


अधिकारी का कहना है कि भले ही पर्रिपोरा वाले घर पर कोई न रहता हो, लेकिन वो बहुत शांत औऱ सुरक्षित इलाका है, ऐसे में वहां हमला होना सुरक्षा में चुक को दर्शाता है।
बीते शनिवार को भी एक हमले में वो बाल-बाल बचे थे। उतर कश्मीर के एक गांव में नईम पर हमला तब हुआ जब वो कानून व्यवस्था व अस्पताल प्रबंदन में स्थिति का जायजा लेकर लौट रहे थे। बांदीपोरा से श्रीनगर आने के दौरान प्रदर्शनकारियों उनके काफिले पर पथराव कर दिया था। वहीं गत रात उतर कश्मीर में सीमावर्ती कुपवाडा जिला के टंगडार क्षेत्र में प्रदर्शनकारियों ने सोमवार को ग्रामीण विकास, पंचायती राज एवं कानून मंत्री अब्दुल हक खान के काफिले पर पत्थराव किया। इलाके में स्थानीय लोग प्रदर्शन कर रहे थे और मंत्री पर पत्थराव करना शुरु कर दिया जिसके बाद प्रदर्शनकारियों को खदेडने के लिए सुरक्षाबलों ने कार्रवाई की।
गत 8 जुलाई को आतंकवादी संगठन हिजबुल के कमांडर बुरहान वानी को मारे जाने के बाद कश्मीर में जारी अशांति के दौरान मुख्यधारा नेताओं पर कई बार प्रदर्शनकारियों ने पत्थराव करके हमला कर दिया। इससे पहले पी.डी.पी. नेता खलील बंध, पी.डी.पी. विधायक मुश्ताक अहमद, भाजपा के कोटे से मंत्री सज्जाद लोन पर भी हमले हुए हैं।


इस बीच बडगाम, कुलगाम, पुलवामा, अनंतनाग, शोपियां और श्रीनगर में प्रदर्शनकारियों ने रात के दौरान नागरिक हत्याओं के खिलाफ सडक़ों पर मार्च निकालकर प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शनों में कोई अंत नही दिख रहा है जबकि श्रीनगर के तृतीयक देखभाल अस्पतालों में घायलों की संख्या बढ़ती जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि पिछले तीन दिनों के दौरान 100 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को विभिन्न अस्पतालों में उपचार किया गया है।
उधर, कश्मीर घाटी में अलगाववादियों द्वारा हड़ताल में छूट दिए जाने से सोमवार शाम सामान्य जनजीवन पटरी पर लौटता दिखाई दिया लेकिन मंगलवार को कुछ हिस्सों में बंद और कफ्र्यू जारी रहने के बाद हालात फिर पहले जैसे हो गए। घाटी के शेष भागों में कानून.व्यवस्था बनाए रखने के लिए बंदिशें लागू हैं।


सोमवार शाम को अलगाववादियों ने आंदोलन के कार्यक्रम में ढील की घोषणा की ताकि लोग जरूरी सामान खरीद सकें। इस घोषणा के बाद सोमवार को शाम के समय कई दुकानें और कारोबारी प्रतिष्ठान खुलेण् घाटी में नौ जुलाई से बंद की स्थिति है। हालांकि अलगाववादियों के बंद के आह्वान के बाद मंगलवार को बाजार बंद रहे और सार्वजनिक वाहन सडक़ों पर नजर नहीं आए।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि शहर के छह पुलिस थाना क्षेत्रों नौहाटा, खान्यार, रैनावाड़ी, सफाकदल, बटमालू और महाराजगंज , अनंतनाग शहर, कोकेरनाग और बारामुला जिले के खानपुरा में कफ्र्यू लगा रहा। पूरे कश्मीर में चार या इससे ज्यादा लोगों के एक स्थान पर इक_ा होने पर प्रतिबंध बना रहा।


अलगाववादी समूह विरोध प्रदर्शनों में नागरिकों के मारे जाने के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। ये विरोध प्रदर्शन आठ जुलाई को सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद किए जा रहे थे।
नौ जुलाई को कश्मीर घाटी में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे, इसके बाद प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा बलों के साथ झड़पें हुईं और 55 लोग मारे गए। इस दौरान 5600 से ज्यादा लोग घायल हो गए। पूरी घाटी में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद रखी गईं जबकि सभी नेटवर्क की पोस्टपेड मोबाइल टेलीफोन सेवाएं बहाल कर दी गई हैं। प्रीपेड कनेक्शनों पर फोन आने की सुविधा बहाल कर दी गई है लेकिन इन नंबरों से कॉल की नहीं जा सकती। अलगाववादी समूह ने शुक्रवार को हजरतबल दरगाह तक मार्च का आह्वान करते हुए कश्मीर में बंद की अवधि को पांच अगस्त तक विस्तार दे दिया है।
 

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