अब करोड़ों का दवा खरीद घोटाला :मरीजों को दीं घटिया दवाइयां

Edited By ,Updated: 28 Jun, 2016 12:37 PM

scam in medicines

पुलिस विभाग के बाद अब स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में करोड़ों रुपए के घोटाले का खुलासा हुआ है।

श्रीनगर: पुलिस विभाग के बाद अब स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में करोड़ों रुपए के घोटाले का खुलासा हुआ है। वित्तमंत्री डा. हसीब अहमद द्राबू द्वारा विधानसभा में पेश की गई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट से पता चलता है कि राज्य के मरीजों को 50.95 लाख दवाइयां घटिया स्तर की दे दी गई।

विभाग ने 89.08 करोड़ के उपकरण और दवाइयां एक्सपायर्ड रेट कांट्रैक्ट्स, स्वास्थ्य संस्थान से बाहर अथवा स्थानीय बाजार से खरीद लिए। इनमें 44.28 करोड़ रुपए की दवाइयां और 34.80 करोड़ रुपए के उपकरण शामिल हैं। इसी प्रकार 1.17 करोड़ रुपए के चिकित्सा उपकरण फर्जी सप्लाई ऑर्डर के आधार पर खरीद लिए, जबकि अस्पतालों को मिलने के बावजूद 1.21 करोड़ रुपए के चिकित्सा उपकरण ढांचागत सुविधाओं एवं प्रशिक्षित स्टाफ के अभाव में स्थापित ही नहीं हो पाए।


कैग की रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा एक ही दवाइयों को अलग-अलग रेट पर खरीदा गया और खरीद प्रक्रिया में बड़े स्तर पर नियमों का उल्लंघन हुआ। नियमों के अनुसार स्वास्थ्य संस्थानों को कोई दवाई अथवा डिस्पोजेबल का प्रयोग करने से पहले इसे ड्रग कंट्रोलर या किसी मान्यताप्राप्त लैबोरेट्री को सैंपल भेजना होता है, ताकि इन सैंपलों की टैस्टिंग के बाद यह सुनिश्चित किया जा सके कि संबंधित दवाई अथवा डिस्पोजेबल उच्च गुणवत्ता का है, लेकिन कैग की जांच के दौरान पाया गया कि राज्य के अनेक स्वास्थ्य संस्थानों में ऐसी टैस्टिंग नहीं करवाई गई थी। स्टेट ड्रग एंड फूड कंट्रोलर ऑर्गेनाइजेशन, श्रीनगर के डाटा के अनुसार वर्ष 2010 से 2015 तक विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों से केवल 1733 सैंपल लिए गए, जिनमें से 43 निक्न गुणवत्ता के पाए गए। डाटा को क्रॉस चैक करने पर पता चला कि राज्य के स्वास्थ्य संस्थानों में 50.95 लाख गोलियां, कैप्सूल व इंजैक्शन घटिया गुणवत्ता के थे, लेकिन इसके बावजूद इन दवाइयों को मरीजों को दे दिया गया।

 

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