अलगाववादी गिलानी ने बदला स्टैंड, वाजपेयी का ‘मंत्र’ दोहराया

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Aug, 2017 10:31 AM

separatist gilani reversed the stand vajpayee s mantra repeated

हुॢरयत कांफ्रैंस (जी) चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी ने इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत के जरिए कश्मीर विवाद सुलझाने की अपील की है। यह विचार पूर्व पी.एम. अटल बिहारी वाजपेयी ने 2003 में व्यक्त किया था। गिलानी ने एक वीडियो संदेश में वाजपेयी के ‘मंत्र’...

श्रीनगर: हुॢरयत कांफ्रैंस (जी) चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी ने इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत के जरिए कश्मीर विवाद सुलझाने की अपील की है। यह विचार पूर्व पी.एम. अटल बिहारी वाजपेयी ने 2003 में व्यक्त किया था। गिलानी ने एक वीडियो संदेश में वाजपेयी के ‘मंत्र’ को दोहराते हुए कहा कि हम भारत सरकार से ज्यादा उम्मीद नहीं करते। बस वह इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत के जरिए विवाद को सुलझाए। 

 

गिलानी का यह बयान उनके पहले लिए गए स्टैंड के उलट है, क्योंकि अभी तक वह वाजपेयी के इस विचार का विरोध करते रहे हैं। गिलानी का यह वीडियो तब आया है जब एन.आई.ए. उनके दोनों बेटों और दामाद से पाकिस्तान से मिले अवैध धन के बारे में पूछताछ कर रही है। वाजपेयी का जिक्र करते हुए गिलानी ने कहा कि कश्मीर 2 देशों का अधूरा हिस्सा है और भारत व पाकिस्तान को बातचीत कर इसका हल निकालने की जरूरत है। हालांकि कश्मीर को लेकर वाजपेयी के सुझाव का गिलानी मजाक उड़ाते रहे हैं। 

 

उनके मुताबिक निष्ठावान और इंसानियत के निर्माताओं ने उन्हें इस मार्ग पर चलने के लिए मजबूर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सोशल मीडिया पर उनका जो वीडियो वायरल हो रहा है, उसमें गिलानी ने कहा है कि भारत को कश्मीरियों को उनके अधिकार और स्वतंत्रता के अधिकार का वायदा पूरा करने की जरूरत है। हम यह मांग नहीं कर रहे कि भारत को अपने वैध क्षेत्र को छोड़ देना चाहिए। हम भारत की प्रगति, विकास और आजादी चाहते हैं। 

 

एन.आई.ए. की गिरफ्त में गिलानी के दोनों बेटे और दामाद
राष्ट्रीय जांच एजैंसी (एन.आई. ए.) ने जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद से जुड़ी आतंकवाद फंडिंग जांच के मामले में पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के बेटों और दामाद से पूछताछ की थी। गिलानी के बड़े पुत्र नईम पेशे से सर्जन हैं और छोटे बेटे नसीम जम्मू-कश्मीर सरकार के कर्मचारी हैं।  नईम अपने पिता के बाद पाकिस्तान समर्थक कट्टरपंथी समूहों के अलगाववादी संगठन तहरीक-ए-हुर्रियत के स्वाभाविक उत्तराधिकारी माने जाते हैं। तीनों एन.आई.ए. की गिरफ्त में हैं और आरोप तय हुए तो सारी जिंदगी हो सकता है उन्हें जेल में ही काटनी पड़े। 

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