जम्मू संभाग में स्वाइन फ्लू व डेंगू का आतंक फैला

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Sep, 2017 10:26 AM

swine flu and dengue panic spread in jammu division

सर्दी ने अभी दस्तक नहीं दिया है, लेकिन स्वाइन फ्लू से एक महिला की मौत होने से हड़कम्प मच गया है। वहीं संभाग में डेंगू ने अपना तांडव करना आरंभ कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग में एपीडैमियोलॉजिस्ट डा. जे.पी. सिंह का दावा है कि जम्मू संभाग में दोनों...

श्रीनगर : सर्दी ने अभी दस्तक नहीं दिया है, लेकिन स्वाइन फ्लू से एक महिला की मौत होने से हड़कम्प मच गया है। वहीं संभाग में डेंगू ने अपना तांडव करना आरंभ कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग में एपीडैमियोलॉजिस्ट डा. जे.पी. सिंह का दावा है कि जम्मू संभाग में दोनों बीमारियों को लेकर किसी भी प्रकार की कोई चिंता की बात नहीं है। एहतियात के तौर पर स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पर्याप्त प्रबंध किए हुए हैं। अभी तक जम्मू में कुल 42 संदिग्ध मामलों सामने आए हैं जिनके टैस्ट किए गए और केवल 4 मामलों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। गत दिनों एक महिला की मौत  स्वाइन फ्लू से हुई है। 4 मामलों में 1 बच्चे, 1 पुरुष व 2 महिलाएं शामिल हैं। जम्मू जिले में स्वाइन फ्लू के 2 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 1 की मौत हुई है, जबकि 2 मामले ऊधमपुर जिले से संबंधित हैं और अन्य जिलों से अभी तक कोई मामला सामने नहीं आया है। 

 

इसी प्रकार डेंगू की बात करें तो आज तक 24 डेंगू के मामलों की पुष्टि हुई है और राहत की बात है कि डेंगू रोगियों में से किसी की मौत नहीं हुई है। अभी तक कुल 227 संदिग्ध मामलों की जांच की गई, जिनमें से 24 मामलों की पुष्टि हुई और 182 मामले नैगेटिव पाए गए व 21 मामलों की रिपोर्ट का इंतजार है। डेंगू के कुल 24 मामलों में से 4 बच्चे पीड़ित हैं, जबकि 14 पुरुष व 6 महिलाएं डेंगू रोग की जकड़ में हैं जिनका उपचार किया जा रहा है। जिलेवार बात करें तो डेंगू के 17 मामले जम्मू जिले से हैं और 2 साम्बा से, जबकि 1-1 मामला कठुआ, पुंछ, राजौरी, ऊधमपुर और डोडा से संबंधित है, यानी अभी तक रियासी, रामबन और किश्तवाड़ जिले में डेंगू ने दस्तक नहीं दी है। 

 

भारत में स्वाइन फ्लू से मरने वालों व संदिग्ध मरीजों की तादाद दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। स्वास्थ्य निदेशालय जम्मू ने भी इस वर्ष राज्य में बीमारी से निपटने के लिए पहले से पूरे इंतजाम कर लिए हैं। स्वास्थ्य विभाग में एपीडैमियोलॉजिस्ट डा. जे.पी. सिंह ने कहा कि गांधीनगर अस्पताल, सरवाल अस्पताल तथा एस.एम.जी.एस. व जी.एम.सी. अस्पताल में विशेष प्रबंध किए हैं। स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए अलग से आईसोलेशन वार्ड स्थापित किए गए हैं। जिला अस्पतालों में भी ऐसा ही प्रबंध करने के निर्देश दिए गए हैं।

 

पंजाब केसरी के साथ विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि भले ही स्वाइन फ्लू एक घातक वायरस है, लेकिन स्वाइन फ्लू के बारे में आवश्यक जानकारी होना अति आवश्यक है। स्वास्थ्य विभाग आम जनता तक स्वाइन फ्लू के बारे में जानकारी देने के लिए प्रतिदिन लोगों को जागरूक करने के लिए प्रयासरत है, ताकि लोगों में बीमारी को लेकर जागरूकता फैले और वे साफ-सफाई सहित अन्य विशेष बातों का ख्याल रखें। डा. सिंह ने कहा कि भीड़ वाली जगह पर न जाएं और कहीं बाहर से आने पर घर आकर साबुन से हाथ अवश्य धोएं। वर्तमान में राज्य में स्वाइन फ्लू बीमारी की कोई दहशत नहीं है और लोगों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने अपने स्तर पर बीमारी से निपटने के लिए पूरे प्रबंध कर लिए हैं। डा. सिंह ने कहा कि डेंगू से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से गंभीर व तैयार है। स्वास्थ्य विभाग ने नगर निगम के साथ समन्वय स्थापित कर शहर में डेंगू को रोकने के लिए सभी उचित व पर्याप्त प्रबंध किए हैं। मच्छरों को समाप्त करने के लिए विभाग युद्ध स्तर पर प्रयास किया जा रहा है।

 

स्वाइन फ्लू रोग के लक्षण
बुखार, सिर दर्द, सुस्ती, भूख न लगना और खांसी व निरंतर 3 दिन तक बुखार रहने पर डाक्टर से परामर्श लें। कुछ लोगों को इससे उल्टी और दस्त भी हो सकते हैं। गंभीर मामलों में इसके चलते शरीर के कई अंग काम करना बंद कर सकते हैं, जिसके चलते इंसान की मौत भी हो सकती है। इस रोग का मरीज गले की खराश, शरीर में दर्द और ऊपरी स्वशन तंत्र में संक्रमण से परेशान रहता है। बुजुर्ग, किडनी की बीमारियों से पीड़ित लोग, कैंसर के मरीज, गर्भवती महिलाएं और बच्चे इस बीमारी के चपेट में जल्दी आते हैं। लिहाजा ठंडी चीजों से परहेज करें और ताजा व पौष्टिक आहार का सेवन करें। 

 

डेंगू के लक्षण
यह रोग अचानक तीव्र ज्वर के साथ शुरू होता है, जिसके साथ-साथ तेज सिर दर्द होता है, मांसपेशियों तथा जोड़ों मे भयानक दर्द होता है, जिसके चलते ही इसे हड्डी तोड़ बुखार कहते हैं। इसके अलावा शरीर पर लाल चकते भी बन जाते हैं, जो सबसे पहले पैरों पर फिर छाती पर तथा कभी-कभी सारे शरीर पर फैल जाते है। इसके अलावा पेट खराब हो जाना, उसमें दर्द होना, कमजोरी, दस्त लगना, ब्लैडर की समस्या, निरंतर चक्कर आना, भूख न लगना भी लक्षण हैं। लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और प्लेटलैट्स काऊंट चैक कराएं।

 

स्वाइन फ्लू से बचाव
स्वाइन फ्लू से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि भीड़भाड़ वाली जगहों या सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बचें। वहीं खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को रूमाल या कपड़े से ढकें। फ्लू प्रभावित व्यक्ति से दूरी बना कर रखें। बाहर निकलते समय हमेशा मुंह और नाक ढक कर रखें। खासकर तब जब कोई छींक रहा हो। हर बार हाथ धोना बहुत जरूरी है। अगर लगे की तबीयत ठीक नहीं है तो घर पर ही रहें। ऐसी स्थिति में काम या स्कूल पर जाना उचित नहीं होगा और जहां तक हो सके भीड़ से दूर रहना फायदेमंद साबित होगा। सांस लेने में तकलीफ महसूस होने, अचानक चक्कर आने या उल्टी जैसे हालात में फौरन डॉक्टर के पास जाना जरूरी है।

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