वैज्ञानिक शोध से जम्मू कश्मीर में फिर से उग रहा है मुश्कबुडजी चावल

Edited By ,Updated: 19 Mar, 2017 03:42 PM

scientific research is growing again in jammu and kashmir mashbudji rice

कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की दस साल की कड़ी मेहनत से सिर्फ घाटी में ही उगने वाले खुशबूदार चावल की किस्म मुश्कबुडजी को एक नया जीवन मिला है और अब जम्मू कश्मीर सरकार बड़े पैमाने पर इस दुर्लभ किस्म की खेती...

श्रीनगर : कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की दस साल की कड़ी मेहनत से सिर्फ घाटी में ही उगने वाले खुशबूदार चावल की किस्म मुश्कबुडजी को एक नया जीवन मिला है और अब जम्मू कश्मीर सरकार बड़े पैमाने पर इस दुर्लभ किस्म की खेती के लिए किसानों को तैयार कर रही है। मुश्कबुडजी की खेती कर रहे किसानों को मार्केटिंग में सहयोग कर रहे जम्मू कश्मीर कृषि उद्योग विकास निगम के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘वैज्ञानिकों के शोध से मुश्कबुडजी चावल की शुद्ध किस्म का उत्पादन संभव हुआ और 400 से ज्यादा किसानों की मदद से पिछले साल इसका अपेक्षाकृत बड़े पैमाने पर उत्पादन हुआ।’’  उन्होंने कहा कि 125 हेक्टेयर क्षेत्र को इस दुर्लभ किस्म के चावल के उत्पादन के लिये इस्तेमाल किया गया और पिछले साल इसका उत्पादन 900 टन रहा।

मुश्कबुडजी किस्म को नया जीवन देने की योजना के तहत राज्य कृषि विभाग ने किसानों को मुफ्त में बीज और खाद मुहैया कराया था। किसानों को मुश्कबुडजी की खेती के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से सरकार ने कुछ किसानों को लगभग विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी इस किस्म के संरक्षण के लिए उन्हें प्रमाण पत्र से सम्मानित भी किया। किसानों को नकद पुरस्कार भी दिए गए। साल 2007 में शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने दक्षिण कश्मीर के खुदावानी स्थित अपने माउंटेन रिसर्च सेंटर फॉर फील्ड क्रॉप्स में मुश्कबुडजी को नया जीवन देने का कार्यक्रम शुरू किया था। 

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