Edited By ,Updated: 15 Oct, 2016 03:12 PM
दीपावली के त्यौहार का आना उमंग, प्रसन्नता और सम्पन्नता का द्योतक है। इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि दीपावली पर फिजूलखर्ची की जाए, इसलिए
दीपावली के त्यौहार का आना उमंग, प्रसन्नता और सम्पन्नता का द्योतक है। इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि दीपावली पर फिजूलखर्ची की जाए, इसलिए उतना ही उत्साह दिखाएं जितना उचित हो। मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए तो दीपावली पर सोच-समझकर खर्च करना ही बुद्धिमानी होगी। दीपावली पर खरीदारी का बजट निर्धारित करें ताकि आपका बजट संतुलित रहे और त्यौहार का उत्साह भी बना रहे।
यह सच है कि दीपावली को यदि खरीदारी का त्यौहार कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। कुछ लोग अपनी शानो-शौकत, झूठे दिखावे और विक्रेता के झूठे प्रलोभनों में आकर अनावश्यक और जरूरत से ज्यादा खरीदारी भी कर डालते हैं जिससे उनका पूरे वर्ष का बजट बिगड़ जाता है।
दीपावली के समय अक्सर प्रत्येक विक्रेता अपनी दुकान पर 20-30 प्रतिशत छूट, सेल, विशेष उपहार, मुफ्त योजना इत्यादि का बोर्ड लगा कर रखता है, साथ ही प्रतियोगिता के इस युग में प्रत्येक विक्रेता अपनी बेचने वाली वस्तुओं को अधिक से अधिक आकर्षक बनाने की चेष्टा भी करता है परन्तु खरीदार को यह अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि वह जो वस्तु खरीद रहा है वह उसके लिए कितनी उपयोगी है, ठीक भी है या नहीं और वस्तु को आवश्यकतानुसार कितनी मात्रा में खरीदा जाए।
शरद पूर्णिमा से दीपावली तक खरीदारी के लिए शुभ दिन
15 अक्टूबर शरद पूर्णिमा
17 तुला संक्रान्ति
18 अक्टूबर सर्वार्थ सिद्धि योग
19 अक्टूबर सर्वार्थ सिद्धि योग
20 अक्टूबर रवियोग
21 अक्टूबर रवियोग
22 अक्टूबर त्रिपुष्कर योग
23 अक्टूबर रवि पुष्य महासंयोग
28 अक्टूबर धनतेरस, अमृत योग
29 अक्टूबर रूपचौदस, सर्वार्थ सिद्धि योग
30 अक्टूबर दीपावली महालक्ष्मीपद्मयोग