आंखें बताती हैं अंदर की बात, खोलती हैं चरित्र के राज

Edited By ,Updated: 30 Aug, 2016 09:00 AM

eyes

आंखों की जुबान नहीं होती, फिर भी वे बहुत कुछ कह जाती हैं। आंखों से ही घृणा, प्रेम, क्रोध, करूणा, वात्सल्य, विश्वास, भय, ग्लानि, क्रूरता, कर्मण्यता या निरीहता,

आंखों की जुबान नहीं होती, फिर भी वे बहुत कुछ कह जाती हैं। आंखों से ही घृणा, प्रेम, क्रोध, करूणा, वात्सल्य, विश्वास, भय, ग्लानि, क्रूरता, कर्मण्यता या निरीहता, चालाकी या सरलता आदि अनेक मनोभाव प्रकट हो जाते हैं। दरअसल आंखें ही मन और मस्तिष्क की प्रतिबिंब हैं। इसलिए इनसे व्यक्ति के चरित्र, सोच और स्वभाव की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
 
अगर गहराई से देखा जाए तो ज्ञात होगा कि किसी की आंखों में स्वाभाविक मादकता छलकती हैं तो किसी की नजरें तेज सूई सी चुभती प्रतीत होती हैं। किसी की आंखों से सरलता और प्रेम प्रदर्शित होता है तो किसी की आंखों में नैसर्गिक कुटिलता का भाव प्रकट होता है।
 
सामुद्रिक शास्त्र में आंखों की बनावट, आकार-प्रकार, चेहरे पर उनकी स्थिति, रंग और चंचलता, गति आदि के आधार पर मनुष्य के स्वभाव या चरित्र के अध्ययन का विधान है। इसके आधार पर यह तय किया जा सकता है कि अमुक व्यक्ति क्रूर या कपटी है अथवा शांत, निश्छल, स्वार्थी या परोपकार की भावना से पूरित है। आंखें मन के अंदर छिपी सैक्स की भावना को भी बताने में सहायक हैं। 
 
अगर दोनों नेत्रों के बीच एक रेखा सीधी खींच दी जाए तो सामान्य तौर पर नेत्रों की पांच प्रकार की स्थितियां देखने में आती हैं जिन्हें सरल नेत्र, वक्रनेत्र, अचम्भित नेत्र, ऊध्र्व गत नेत्र तथा अधोग्रकोण नेत्र के नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त अधोगत नेत्र, वक्रनेत्र आदि की स्थितियां भी उत्पन्न होती हैं।
 
सरल नेत्रों वाला व्यक्ति स्वभाव से सरल, सहृदय, भावुक, संवेदनशील विवेकशील तथा संतुलित विचारों वाला होता है। छल, कपट और कुटिलता क्रूरता के भाव उसमें बहुत कम उत्पन्न होते हैं। वह जो भी कदम उठाता है, बहुत सोच-विचार कर उठाता है किन्तु एक बार मन बना लेने पर वह उसमें आसानी से परिवर्तन नहीं करता।  
 
दूसरों के दुख-सुख में आगे होकर सरल नेत्रों वाला व्यक्ति भाग लेता रहता है तथा न्याय का पक्षधर और अन्याय का विरोधी होता है। आमतौर पर वह किसी पर अकारण अविश्वास नहीं करता और अपनी तरह दूसरों को भी सरल तथा हृदयवान समझता है किन्तु सरल नेत्रों की पुतलियां अगर ऊपर की ओर हों तो वह थोड़ा अधिक स्वाभिमानी, गंभीर और अहंकारी भी हो सकता है। देखने पर ऐसे नेत्र मादकता लिए हुए दिखाई देते हैं।
 
कुछ चेहरों पर आंखों के अग्रभाग और भृकुटि ललाट पर कुछ ऊपर की ओर नेत्रों का पश्चभाग अपेक्षाकृत नीचा होता है अर्थात नेत्रों का अग्रभाग और पीछे का किनारा समानांतर रेखा पर नहीं मिलते। ऐसे व्यक्ति अधिक महत्वाकांक्षी, अध्ययनशील और चिंतक प्रवृत्ति के होते हैं। वे अपने निश्चय पर दृढ़ रहते हैं और सामान्यत: सिद्धांतों पर समझौता नहीं कर पाते। इन पर आसानी से विश्वास किया जा सकता है।
 
इसके विपरीत अगर आंखों का अग्रभाग नाक के नीचे की ओर झुका हुआ हो, पुतलियां नीचे की ओर देखती हुई लगें ओर नेत्रों के दोनों सिरे समानांतर न हों तो उन्हें अधोग्रकोण नेत्र कहा जाता है। ऐसे नेत्र वाले व्यक्ति आदर्श की अपेक्षा यथार्थ पर अधिक जोर देते हैं। वे व्यवहार पटु और दुनियादारी के मामले में चतुर माने जाते हैं। भौतिक संपदा और साधन जुटाने की प्रवृत्ति ऐसे लोगों में अधिक देखी जाती है।
 
अगर पुतलियां कुछ अधिक नीची हों तो वे व्यक्ति स्वार्थ परायण, अहंकारी और क्रूर भी हो सकते हैं। वे अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए किसी भी स्तर तक नीचे उतर सकते हैं। छल, कपट और यहां तक कि हिंसा का सहारा लेने से भी उन्हें संकोच नहीं होता। ऐसे व्यक्ति में हीन भावना भी देखी जाती है और वे दूसरों की प्रगति को देखकर प्रसन्न नहीं होते।
 
आकार की दृष्टि से कमलपत्र के समान अथवा बादाम के आकार के नेत्र अच्छे माने जाते हैं जो अग्रभाग से अधिक चौड़े और पीछे की ओर से तीखे नुकीले होते हैं। ऐसे नेत्र सौंदर्य की सृष्टि तो करते ही हैं, वे यश, स्वास्थ्य, समृद्धि और सफल एवं सुखी जीवन  के भी प्रतीक माने जाते हैं। इसके विपरीत तोते की तरह की गोलाकार आंखें व्यक्ति के स्वकेंद्रित, स्वार्थी व चंचल होने का संकेत देती है।
 
ऊर्ध्व गत नेत्रों के आगे व पीछे के दोनों कोण समानांतर दिखाई देते हैं, किन्तु पुतलियों की स्थिति मध्य भाग से कुछ ऊपर की ओर रहती है। नेत्रफलक कुछ ऊपर उठे हुए और चौड़े होते हैं। ऐसे नेत्रों वाले व्यक्ति परिश्रमी, उदार और उत्साही होते हैं। वे किसी सहारे के बिना ही अपनी लगन और निष्ठा के बल पर आगे बढ़ते रहते हैं। 
 
अधोगत नेत्रों की स्थिति ऊध्र्व गत नेत्रों से सर्वथा विपरीत होती है। नेत्रों के नीचे का भाग कुछ अधिक चौड़ा और पुतलियां नीचे की ओर झुकी दिखाई देती हैं। ऐसे व्यक्ति निष्ठुर, अतिकामी, संवेदनहीन और स्वार्थी अधिक होते हैं। मानसिक अस्थिरता और चंचलता ऐसे व्यक्तियों में प्राय: देखी जाती है।
 
जिस व्यक्ति की पलकें बार-बार निरंतर तेजी से झपकती हों, ऐसा व्यक्ति चंचल, अस्थिर, स्वभाव वाला और स्वार्थपरायण अधिक होता है जबकि स्थिर पलकों वाला व्यक्ति गंभीर, साहसी व आत्मबल प्रधान होता है। 

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