वैज्ञानिकों ने भी माना रत्नों से होते हैं चमत्कार, लेकिन इन्हें पहनें संभलकर!

Edited By ,Updated: 06 Sep, 2016 01:42 PM

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रत्नों का व्यक्ति के जीवन से हजारों वर्ष पुराना नाता है। जहां एक ओर रत्न जमीन से हजारों फुट नीचे व पहाड़ों और गुफाओं में से निकलते हैं वहीं दूसरी ओर समुद्र में तथा

रत्नों का व्यक्ति के जीवन से हजारों वर्ष पुराना नाता है। जहां एक ओर रत्न जमीन से हजारों फुट नीचे व पहाड़ों और गुफाओं में से निकलते हैं वहीं दूसरी ओर समुद्र में तथा पहाड़ों पर जुगनुओं की तरह चमचमाते पौधों की डालियों, जड़ों व फलों की डालियों में पाए जाते हैं जैसे रत्न मूंगा व संजीवनी बूटी जो पहाड़ों पर चमचमाती दिखाई देती है।
  
‘रामायण’ में जब रावण के पुत्र मेघनाथ से युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे तो हनुमान जी पूरा पहाड़ ही उठा लाए थे जिस पर चमचमाते प्राकृतिक ऊर्जा से भरे व जुगनुओं की तरह टिमटिमाते पौधे दिखाई देते थे। लक्ष्मण जी का उपचार कर रहे वैद्य ने जब पहाड़ से संजीवनी बूटी निकाल कर लक्ष्मण जी को सुंघाई तो वह तुरंत मूर्छा से मुक्त हो गए थे। आज भी हमारे देश में आयुर्वेद में रोगों का इलाज जड़ी-बूटियों से किया जाता है। 
 
आज भी पर्वतों पर व समुद्रों में कुछ ऐसे पौधे, जड़ी-बूटियां दिखाई पड़ते हैं जिनकी आकृति मनुष्य के शरीर के अंगों से मिलती-जुलती है और जो शायद इस ओर इशारा करती है कि जैसा कि इनका संबंध मनुष्य के शरीर से बहुत गहरा है।
 
 
‘दिमागी मूंगा’ रीढ़ की हड्डी की तरह का पेट के आकार जैसा मूंगा, सैक्स बढ़ाने वाला मूंगा शरीर के अंगों जैसी आकृति के पौधों से प्राप्त किए जाते हैं और फिर इनको काट कर, मशीनों द्वारा साफ करके रत्नों का आकार दे दिया जाता है। 
 
जिस प्रकार चुंबक के चारों ओर की ऊर्जा दिखाई नहीं देती लेकिन जैसे ही वह लोहे के समीप आता है, ऊर्जावान हो जाता है इसी प्रकार इन रत्नों में छुपी हुई प्राकृतिक ऊर्जा व्यक्ति के शरीर के संपर्क में आते ही अपना प्रभाव दिखाना प्रारंभ कर देती है। जहां एक ओर यह व्यक्ति के स्वास्थ्य को ठीक करती है वहीं दूसरी ओर ग्रहों से संबंधित रत्न ग्रहों से संबंधित कार्यों को प्रभावित करती हैं। 
 
आस्ट्रल ऊर्जा से भरपूर ये रत्न जब धारण किए जाते हैं तो यह अपना चमत्कार दिखाते हैं। व्यक्ति के जीवन को पलट कर रख देते हैं। राजा को रंक व रंक को राजा बना देते हैं। अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए देवी-देवता व राक्षस इनको धारण करते थे। कलयुग में भी इनका बहुत महत्व देखा गया। राजा-महाराजाओं व रानियों-महारानियों ने भी इन रत्नों को अपने आभूषणों व मुकुटों पर धारण किया। आज के युग में भी बड़ी-बड़ी हस्तियां अपनी हैसियत के अनुसार इनको धारण करते हैं। 
 
यदि ये माफिक न आए तो जीवन नष्ट-भ्रष्ट कर देते हैं। आज भी लंदन के संग्रहालय में एक ऐसा हीरा व नीलम रखा है जिसने कई हस्तियों को बर्बाद कर दिया। जिसने भी उस हीरे या नीलम को पहना बस उसकी बर्बादी शुरू हो गई और उसने उसकी मौत तक उसका पीछा नहीं छोड़ा। 
 
वर्ष 1857 में कर्नल फ्रान्सेस जब भारत वर्ष में आजादी की छिड़ी जंग को दबाने कानपुर पहुंचा तो एक मंदिर में मूर्तियों पर जड़े जेवरातों के साथ उसको एक नीलम जड़ी अंगूठी भी प्राप्त हुई। जिस दिन उसने उस नीलम को प्राप्त किया उसी दिन से उसके खराब दिन शुरू हो गए थे। उसकी अपनी सेना में बड़ी शौहरत थी लेकिन वह सब खत्म हो गई, करोड़ों की सम्पत्ति भी नष्ट हो गई तो उसने वह नीलम अपने दो मित्रों को दे दिया। मित्रों में से एक की मौत हो गई और दूसरा बर्बाद हो गया। वह नीलम फिर से लौट कर कर्नल फ्रांसेस के घर आ गए। कर्नल फ्रांसेस की मौत हो गई उसकी मौत के उपरांत उसकी वसीयत में रत्न का जिक्र आया। यह रत्न उसके दो पुत्रों को मिला। उन पुत्रों को भी बर्बादी ने घेर लिया और वे भी बर्बाद हो गए। उस परिवार के सदस्यों ने यह नीलम लंदन के संग्रहालय में रखवा दिया। जनवरी, 2010 में वहां उसकी नुमाइश  लगी थी लोग उस नीलम के पास जाते हुए भी घबराते थे। उस नीलम के चारों ओर एक बैंगनी रंग की पट्टी अर्थात छल्ला-सा नजर आता है। केवल  नीलम ही नहीं, एक हीरा भी इसी प्रकार की प्रवृत्ति का है जिसने उसको धारण किया उसी का ही सर्वनाश हो गया। 
 
जिस प्रकार से सात ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र व शनि, सात रंग : बैंगनी, गाढ़ा नीला, नीला, हरा, पीला, संतरी व लाल (स्पैक्ट्रम), संगीत के सात सुर सा, रे, गा, मा, पा, धा, नी, सात दिन : रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार (वीरवार), शुक्रवार व शनिवार और योग के सात चक्र : सहस्रधारा, अंजना, विशुद्धि, अनाहत, मणिपुर, स्वाधिष्ठान और मूला व शरीर में सात ग्रंथियां पिनियल, पीट्टूरी, थायराइड, थाईमस, पैन्क्रियास, एडरिनल और गोणडस होती हैं इसी प्रकार से सात महत्वपूर्ण रत्न हैं-मणिक, मोती, मूंगा, पन्ना, पुखराज, हीरा व नीलम। 
 
ये सातों रत्न 12 राशियों के स्वामी ग्रहों के रत्न हैं। मेष व वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल, रत्न मूंगा, वृष-तुला का स्वामी शुक्र, रत्न हीरा, मिथुन-कन्या का स्वामी बुद्ध, रत्न पन्ना, धनु-मीन का स्वामी बृहस्पति रत्न पुखराज, मकर-कुंभ का स्वामी शनि, रत्न नीलम, सिंह राशि का स्वामी सूर्य, रत्न मणिक व कर्क राशि का स्वामी चंद्र रत्न मोती है। जैसे व्यक्ति को खून चढ़ाते समय उसका ब्लड ग्रुप मिला लिया जाता है वैसे ही रत्नों को भी राशि के अनुसार मिलान करके ही पहनना चाहिए नहीं तो यह व्यक्ति को हानि पहुंचाते हैं। एक ओर जहां वैज्ञानिक इन रत्नों से होने वाले लाभ व हानि को नहीं मानते वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे वैज्ञानिक भी हैं जिन्होंने इन रत्नों के रहस्य को वैज्ञानिक तौर पर उजागर कर दिया है। 

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