खास रत्न पलट देते हैं व्यक्ति का जीवन, देवी-देवता एवं राक्षस भी करते हैं इन्हें धारण

Edited By ,Updated: 26 Apr, 2016 12:07 PM

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रत्नों का व्यक्ति के जीवन से हजारों वर्ष पुराना नाता है। जहां एक ओर रत्न जमीन से हजारों फुट नीचे व पहाड़ों और गुफाओं में से निकलते हैं वहीं दूसरी ओर

रत्नों का व्यक्ति के जीवन से हजारों वर्ष पुराना नाता है। जहां एक ओर रत्न जमीन से हजारों फुट नीचे व पहाड़ों और गुफाओं में से निकलते हैं वहीं दूसरी ओर समुद्र में व पहाड़ों पर जुगनुओं की तरह चमचमाते पौधों की डालियों, जड़ों व फलों की डालियों में भी पाए जाते हैं जैसे कि रत्न मूंगा व संजीवनी बूटी जो पहाड़ों पर चमचमाती दिखाई देती है।

हिंदुओं के ग्रंथ ‘रामायण’ में जब रावण के पुत्र मेघनाद से युद्ध के दौरान लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए थे तो हनुमान जी पूरा पहाड़ ही उठा लाए थे जिस पर चमचमाते प्राकृतिक ऊर्जा से भरे व जुगनुओं की तरह टिमटिमाते पौधे दिखाई देते थे। लक्ष्मण जी का उपचार कर रहे वैद्य ने जब पहाड़ से संजीवनी बूटी निकाल कर लक्ष्मण जी को सुंघाई तो वह तुरन्त मूर्च्छा से मुक्त हो गए थे। आज भी हमारे देश में आयुर्वेद में रोगों का इलाज जड़ी-बूटियों से किया जाता है।

आज भी पर्वतों पर व समुद्रों में कुछ ऐसे पौधे, जड़ी-बूटियां दिखाई पड़ती हैं जिनकी आकृति मनुष्य के शरीर के अंगों से मिलती-जुलती है और जो शायद इस ओर इशारा करती हैं कि इसका संबंध मनुष्य के शरीर से बहुत गहरा है।

उदाहरण के तौर पर ‘दिमागी मूंगा’ रीढ़ की हड्डी की तरह का पेट के आकार जैसा मूंगा, सैक्स बढ़ाने वाला मूंगा शरीर के अंगों जैसी आकृति के पौधों से प्राप्त किए जाते हैं और फिर इनको काट कर, मशीनों द्वारा साफ करके रत्नों का आकार दे दिया जाता है जिस प्रकार चुंबक के चारों की ऊर्जा दिखाई नहीं देती लेकिन जैसे ही वह लोहे के समीप आता है, ऊर्जावान हो जाता है इसी प्रकार इन रत्नों में छुपी हुई प्राकृतिक ऊर्जा व्यक्ति के शरीर के सम्पर्क में आते ही अपना प्रभाव दिखाना प्रारंभ कर देती है। यह व्यक्ति के स्वास्थ्य को जहां एक ओर ठीक करती है वहीं दूसरी ओर ग्रहों से संबंधित रत्न ग्रहों से संबंधित कार्यों को प्रभावित करते हैं।

आस्ट्रल ऊर्जा से भरपूर ये रत्न जब धारण किए जाते हैं तो अपना चमत्कार दिखाते हैं। व्यक्ति के जीवन को पलट कर रख देते हैं। राजा को रंक और रंक को राजा बना देते हैं। अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए देवी-देवता एवं राक्षस इन्हें धारण करते थे। यदि ये माफिक न आएं तो जीवन नष्ट-भ्रष्ट कर देते हैं।

वर्ष 1857 में कर्नल फ्रान्सेस जब भारत वर्ष में आजादी की छिड़ी जंग को दबाने कानपुर पहुंचा तो एक मंदिर में मूर्तियों पर जड़े जेवरात के साथ उसको एक नीलम जड़ी अंगूठी भी प्राप्त हुई। जिस दिन से उसने उस नीलम को प्राप्त किया उसी दिन से उसके खराब दिन शुरू हो गए थे। उसकी अपनी सेना में बड़ी शोहरत थी लेकिन वह सब खत्म हो गई, करोड़ों की सम्पत्ति भी सर्वनाश हो गई तो उसने वह नीलम अपने दो मित्रों को दे दिया। मित्रों में से एक की मौत हो गई और दूसरा बर्बाद हो गया। वह नीलम फिर से लौटकर कर्नल फ्रान्सेस के घर आ गया। कर्नल फ्रांसेस की मौत हो गई उसकी मौत के उपरांत उसकी वसीयत में रत्न का जिक्र आया। यह रत्न उसके दो पुत्रों को मिला। उन पुत्रों को भी बर्बादी ने घेर लिया और वे भी बर्बाद हो गए। उस परिवार के सदस्यों ने यह नीलम लंदन के म्यूजियम में रखवा दिया। जनवरी 2010 में लंदन के म्यूजियम में उस नीलम की नुमाइश लगी थी। लोग उस नीलम के पास जाते भी घबराते थे। इस नीलम के चारों तरफ एक बैंगनी रंग की पट्टी अर्थात छल्ला-सा नजर आता है।

केवल नीलम ही नहीं बल्कि एक हीरा भी इसी प्रकार की प्रवृत्ति का है जिसने उसको धारण किया उसी का ही सर्वनाश हो गया। यह भी नुमाइश के दौरान लंदन के म्यूजियम में देखा जा सकता है।

जिस प्रकार से सात ग्रह :- सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र व शनि हैं। 

सात रंग : बैंगनी, गाढ़ा नीला,  हरा, पीला, संतरी व लाल (स्पैक्ट्रम), 

संगीत के सात सुर सा, रे, गा, मा, पा, धा, नी, 

सात दिन : रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, वीरवार, शुक्रवार व शनिवार और 

योग में सात चक्र : सहस्रधारा, अंजना, विशुद्धि, अनाहत, मणिपुर, स्वाधिष्ठान और 

मूला व शरीर में सात ग्रंथियां : पिनियल, पीट्टूरी, थायरायड, थाइमस, पैंक्रियास, एडरिनल और गोणडस होती हैं। इसी प्रकार से सात महत्वपूर्ण रत्न हैं- मणिक, मोती, मूंगा, पन्ना, पुखराज, हीरा व नीलम है।

ये सातों रत्न 12 राशियों के स्वामी ग्रहों के रत्न हैं। मेष व वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल रत्न मूंगा, वृष-तुला का स्वामी शुक्र, रत्न हीरा, मिथुन-कन्या का बुद्ध रत्न पन्ना, धनु-मीन का स्वामी बृहस्पति रत्न पुखराज, मकर-कुंभ का स्वामी शनि, रत्न नीलम, सिंह राशि का स्वामी सूर्य, रत्न मणिक व कर्क राशि का स्वामी चंद्र रत्न मोती है।

जिस प्रकार से व्यक्ति को खून चढ़ाते समय उसके ब्लड ग्रुप का मिलान कर लिया जाता है उसी प्रकार से रत्नों को राशि के अनुसार मेच करके ही पहनना चाहिए नहीं तो यह व्यक्ति को हानि पहुंचाते हैं लेकिन आज के दौर में जिस प्रकार से नकली खाद्य पदार्थ, दवाइयां, मिलावटी वस्तुओं का प्रचलन चल रहा है उसी प्रकार नकली रत्नों का भी प्रचलन चल रहा है जिनको राशि अनुसार पहनने पर भी लाभ नहीं होता इसलिए लोगों का विश्वास कम होता जा रहा है।

एक ओर जहां वैज्ञानिक इन रत्नों से होने वाले लाभ व हानि को नहीं मानते वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे वैज्ञानिक भी हैं जिन्होंने इन रत्नों के पीछे छिपे रहस्य को साइंटिफिक तौर पर उजागर कर दिया है। रत्नों को धारण करने से पूर्व व्यक्ति को जन्म लग्न व जन्म राशि से संबंधित रत्नों की पूर्ण जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।

—पंडित वी.के. शर्मा

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