Edited By ,Updated: 04 Oct, 2016 01:25 PM
नाड़ी शास्त्र दक्षिण भारत का एक प्रमुख ग्रंथ है। इसमें ताड़पत्रों पर व्यक्ति के अंगूठे के निशान अंकित हैं। इन निशानों के आधार पर किसी भी व्यक्ति के
नाड़ी शास्त्र दक्षिण भारत का एक प्रमुख ग्रंथ है। इसमें ताड़पत्रों पर व्यक्ति के अंगूठे के निशान अंकित हैं। इन निशानों के आधार पर किसी भी व्यक्ति के भविष्य के बारे में सहजता से जाना जा सकता है। इस लेख में शुक्र नाड़ी के आधार पर कुछ भविष्य संबंधी बातों का उल्लेख किया जा रहा है।
इस नाड़ी शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति का जन्म तुला राशि के 29 अंश 36 पल से 29 अंश 48 पल के मध्य के समय में हुआ हो तथा बुध दशम भाव में स्थित हो तो व्यक्ति समाज में सम्मानित होता है। वह उच्च स्तर का राजनेता या भाषाविद् बनेगा। उसे संसार के सभी प्रकार के सुख प्राप्त होंगे।
वृश्चिक लग्न के 5 अंश 24 पल तथा 5 अंश 36 पल के बीच जिस व्यक्ति का जन्म होता है तथा बृहस्पति एवं मंगल किसी भी भाव में एक साथ स्थित हों तो व्यक्ति कई देशों में प्रसिद्धि प्राप्त करने वाला होता है। इसी तरह मकर लग्न के 2 अंश 24 पल से 2 अंश 36 पल के मध्य किसी व्यक्ति का जन्म हो तथा शनि दूसरे भाव में स्थित होता है तो व्यक्ति कामुक और विलासी होगा।
यदि बृहस्पति द्वितीय भाव एवं लग्न का स्वामी नवम अथवा एकादश भाव में स्थित हो तो वह व्यक्ति दूरस्थ देशों में निवास करने वाला होता है।
राहु लग्न में स्थित हो और मंगल एकादश भाव में हो तो व्यक्ति विदेश में धनोपार्जन कर सुख-सुविधा सम्पन्न जीवन व्यतीत करेगा।
इसी प्रकार राहु के साथ बृहस्पति सप्तम भाव तथा चंद्रमा पंचम भाव में स्थित हो तो वह व्यक्ति अकूत धन सम्पदावान बनता है।