Edited By ,Updated: 01 Oct, 2016 12:06 PM
देवी की सवारी: ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पराम्बा की सवारी नवरात्र की स्थापना महूर्त के अनुसार तय होती है। सवारी अनुसार ही आने वाले काल का
देवी की सवारी: ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पराम्बा की सवारी नवरात्र की स्थापना महूर्त के अनुसार तय होती है। सवारी अनुसार ही आने वाले काल का अंदाजा लगाया जाता है। शारदीय नवरात्र शनिवार से शुरू होंगे अतः घट स्थापना पर दुर्गा की सवारी 'घोड़ा' रहेगा व देवी 'मुर्गे' से प्रस्थान करेंगी।
यह नवरात्र राज नेताओं हेतु अशुभ रहेगा। देवी की सवारी घोड़ा युद्ध का प्रतीक है अतः यह सवारी शासन हेतु अशुभ रहेगी परंतु आमजन हेतु यह सवारी शुभ रहेगी क्योंकि घोड़ा शक्ति, तेजी व बुद्धिमानी का प्रतीक है।
शास्त्रानुसार देवी का वाहन दिवस अनुसार तय होता है सोमवार को देवी की सवारी हाथी, मंगलवार व शनिवार को देवी की सवारी अश्व, बुधवार को नाव, और गुरूवार व शुक्रवार को डोली तथा रविवार को देवी की सवारी हाथी होता है।
घट स्थापना महूर्त व विधि: एक लकड़ी के फट्टे पर लाल वस्त्र बिछाएं व कपड़े पर थोड़ा चावल रखकर गणपती का स्मरण करते हुए प्रणाम करें। मिट्टी के पात्र में जौ बोएं। इस पात्र पर जल से भरा कलश स्थापित करें। कलश पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। कलश के मुख पर रक्षासूत्र बांधें व कलश में सुपारी, सिक्के, अशोक के पत्ते रखकर मुख को ढक्कन से बांधें व उस पर चावल भरें। नारियल लेकर उस पर चुनरी लपेटकर रक्षा सूत्र बांध दें। इस नारियल को कलश के ढक्कन पर रखते हुए देवी का आह्वान करें। दीप जलाकर कलश पूजन करें। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः 6 बजकर 15 मिनट से 7 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 47 मिनट से लेकर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।
आचार्य कमल नंदलाल
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