शिव पुराण: आज सूर्यास्त के बाद करें यह तांत्रिक उपाय, महाकाली देंगी राजयोग

Edited By ,Updated: 23 Jul, 2016 12:16 PM

shiva purana mahakali

काल की गति सूक्ष्म से अति सूक्ष्म हैं। काल मात्र समय नहीं है परंतु काल सजीव व निर्जीव की गतिशीलता की पृष्ठभूमि है। काल गति के बिंदु में असंख्य घटनाएं समाहित हैं। इसी को कालखंड कहते हैंं। कालखंड में एकसाथ हजारो प्रक्रियाएं चलती हैं। हर प्रक्रिया के...

काल की गति सूक्ष्म से अति सूक्ष्म हैं। काल मात्र समय नहीं है परंतु काल सजीव व निर्जीव की गतिशीलता की पृष्ठभूमि है। काल गति के बिंदु में असंख्य घटनाएं समाहित हैं। इसी को कालखंड कहते हैंं। कालखंड में एकसाथ हजारो प्रक्रियाएं चलती हैं। हर प्रक्रिया के लिए हमारे शास्त्रों में देवी-देवता निर्धारित हैं। हर क्षण में हमारे जीवन पर कोई न कई दैवीय शक्ति प्रभाव डालती है। काल के ईश्वर शिव के स्वरुप महाकालेश्वर को माना गया है व काल की शक्ति देवी महाकाली को कहा गया है। तंत्र शास्त्रों में 'महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग' का सर्वोच्च स्थान है। कहा जाता है कि जो महाकाल का भक्त है उसका काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता। महाकाल के बारे में तो यह भी कहा जाता है कि यह पृथ्वी का एक मात्र मान्य शिवलिंग है।
 
उज्जैन शहर हिंदुओं के लिए पवित्र माना जाता है। यहां पर द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिग स्थापित है। उज्जैन सात पवित्र पुरियों में से एक है। भारत के 51 शक्तिपीठों व चार कुंभ क्षेत्रों में एक जगह उज्जैन है। यहां हर 12 साल में पूर्ण कुंभ मेला तथा हर 6 साल में अ‌र्द्धकुंभ मेला लगता है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिग की स्थापना से संबंधित भारतीय पुराणों के अलग-अलग कथाओं में इसका वर्णन मिलता है। पृथ्वी की नाभि कहा जाने वाला उज्जैन तीर्थ स्थल क्षिप्रा नदी के किनारे बसा है। शिव कण-कण भक्ति के रस से श्रृंगारित है, सावन के हर सुबह गली-चौराहों पर हर हर महादेव के जयकारे सुनाई पड़ते हैं। 
 
शास्त्रों में श्रावण मास के शनिवार का विशिष्ट महत्व बताया गया है। इस दिन शिव व शनिदेव पूजन से व्यक्ति असफलता को सफलता में बदल सकता है। शिव पुराण अनुसार श्रावण मास के शनिवार को शिव-शनि की आराधना को अति श्रेष्ठ माना गया है इससे व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है। सावन के शनिवार को रुद्राभिषेक करने से लौकिक वस्तुओं की प्राप्ति अति शीघ्र होती है। सावन के महीने में तो शिव की आरधना अति फलदायी मानी जाती है। आज के दिन लाल व काली वस्तुओं का दान अति उतम व शीघ्र फल दायक होता है। आज के इस सावन विशेष में हम आपको शिव के महाकालेश्वर स्वरुप और उनकी शक्ति महाकाली की उपासना और उपाय बताने जा रहे हैं।
 
उपाय: शनिवार के शाम प्रदोष काल के समय अर्थात सूर्यास्त से 13 मिनट और 30 सेकेण्ड पहले और 13 मिनट और 30 सेकेण्ड बाद अर्थात 27 मिनट के समय अंतराल पर इस उपाय को करें। उपाय करते समय यथासंभव काले रंग के कपडे पहनें। किसी ऐसे शिवालय जाकर जहां काला शिवलिंग स्थापित हो अथवा घर में रखे पारद शिवलिंग और माता महाकाली के चित्र का पश्चिम मुखी होकर विधिवत पूजन करें। सरसों के तेल का दीपक जलाएं। अगर हो सके तो गुडहल का फूल चढ़ाएं अन्यथा कोई भी फूल चढ़ाएं। लोहबान से धूप करें। अष्टगंध का तिलक अर्पित करें। शिवलिंग पर सरसों के तेल से अभिषेक करें। काजल अर्पित करें। नारियल के गोले में उड़द और शहद मिलाकर महाकाल को भोग लगाएं। तत्पश्चात बाएं हाथ में 8 लौंग दबा कर मुट्ठी बंद कर लें। इसके पश्चात काले हकीक आभाव में किसी रुद्राक्ष अथवा चंदन की माला से पश्चिम दिशा की ओर मुख करके 108 बार इस मंत्र का जाप करें।
 
मंत्र: क्लीं कालेश्वराय यमान्तकाय नमः शिवाय।।
 
पूजा और जाप संपूर्ण होने के बाद मुट्ठी में बंध लौंग जमीन में गाड़ दें तथा बची हुई शेष सामग्री किसी भैरव मंदिर में चढ़ाएं अथवा किसी चौराहे पर रख दें। इस तांत्रिक उपाय से मिलेगा राजयोग और आपके जीवन में हर वर्ग में सुख-समृद्धि का संचय होगा। रोग और शारीरिक कष्टों से छुटकारा मिलेगा। जीवन के हर काम में सफलता मिलेगी।
 
आचार्य कमल नंदलाल

ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com 

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