पुलिस कर्मियों से मारपीट, आरोपी भाइयों को कोर्ट ने भेजा पुलिस गिरफ्त में

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Dec, 2017 08:29 PM

attack on police

पुलिस कर्मियों से मारपीट करने के मामले में आई.टी. थाना पुलिस ने गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपी भाइयों साहिल और सोमिल को जिला अदालत में पेश किया। पुलिस ने अदालत से दोनों को न्यायिक हिरासत में भेजने की अपील की। इसे अदालत ने मंजूर करते हुए दोनों को...

चंडीगढ़, (संदीप कुमार): पुलिस कर्मियों से मारपीट करने के मामले में आई.टी. थाना पुलिस ने गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपी भाइयों साहिल और सोमिल को जिला अदालत में पेश किया। पुलिस ने अदालत से दोनों को न्यायिक हिरासत में भेजने की अपील की। इसे अदालत ने मंजूर करते हुए दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। बचाव पक्ष ने दोनों आरोपियों की जमानत याचिका भी दायर करनी चाही, लेकिन पुलिस की ओर से एफ.आई.आर. संबंधी कोई भी जानकारी न दिए जाने पर अदालत ने इसे सोमवार के लिए रख दिया है। आई.टी. पार्क थाना पुलिस को बचाव पक्ष को एफ.आई.आर. की कॉपी देने के आदेश दिए हैं। 


बचाव पक्ष के वकील कमल ग्रोवर ने अपनी दलील मे कहा की पुलिसकर्मियों से मारपीट के आरोपी साहिल कोहली और सोमिल कोहली को पुलिस ने केस में झूठा फंसाया है। हैड कांस्टेबल शुभकरण साहिल से लड़की की शिकायत पर केस दर्ज न करने की एवज में एक लाख रुपए मांग रहा था। इसका साहिल ने वीडियो बना लिया था। इसका पता चलने पर उसने अन्य पुलिसकर्मियों को फोन कर सिविल ड्रैस में बुलवाकर उनसे फोन छीनने का प्रयास किया। अपना फोन और पुलिसकर्मी के रिश्वत मांगने का सबूत उसमें होने के कारण वह फोन बचा रहे थे। इसी को लेकर सिविल ड्रैस में मौजूद पुलिसकर्मियों से उनकी हाथापाई हो गई। बचाव पक्ष के अनुसार ये पुलिसकर्मियों से मारपीट का नहीं भ्रष्टाचार का केस है। जिन्हें आरोपी बनाया गया है, वह खुद को बचा रहे थे। उन पर सिविल ड्रैस में मौजूद पुलिसकर्मी दबाव बना रहे थे। पुलिस ने उन्हें भीड़ का हिस्सा बताया है जबकि भीड़ में सिविल में पुलिसकर्मी उसका फोन छीनकर रिश्वत मांगते हुए का बनाया वीडियो डिलीट करना चाहते थे। इसी सब के बीच उक्त हाथापाई हो गई। 


बचाव पक्ष ने अदालत से अपील की कि पुलिस को आदेश दिए जाएं कि साहिल के फोन और उसका डाटा डिलीट न होने दिया जाए। साथ ही फोन को सुरक्षित रखा जाए। क्योंकि उसमें पुलिसकर्मी के रिश्वत मांगते हुए का सबूत बतौर वीडियो है। उन्हें डर है कि पुलिस उसे डिलीट करने के साथ ही फोन को नुक्सान पहुंचा सकती है ताकि वह वीडियो बतौर सबूत उनके खिलाफ पेश न किया जा सके। 

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