कपड़ा आयात से बढ़ी घरेलू उद्योग की चिंता

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Jan, 2018 12:14 PM

concerned domestic industry increased by textile imports

नोटबंदी और जी.एस.टी. के कारण आई सुस्ती से उबरने की कोशिश कर रहे कपड़ा उद्योग के लिए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़े निराशाजनक हैं। कंफैडरेशन ऑफ  इंडियन टैक्सटाइल इंडस्ट्री (सी.आई.टी.आई.) के चेयरमैन संजय जैन का कहना है कि सरकार

नई दिल्ली: नोटबंदी और जी.एस.टी. के कारण आई सुस्ती से उबरने की कोशिश कर रहे कपड़ा उद्योग के लिए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़े निराशाजनक हैं। कंफैडरेशन ऑफ  इंडियन टैक्सटाइल इंडस्ट्री (सी.आई.टी.आई.) के चेयरमैन संजय जैन का कहना है कि सरकार को घरेलू उद्योग को बचाने के लिए उपाय करना चाहिए। नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक दिसम्बर में देश से कपड़े के निर्यात में कमी आई है जबकि आयात में लगातार जोरदार इजाफा हुआ है, जिससे घरेलू उद्योग की चिंता बढ़ गई है।

परिधान निर्यात में 8 प्रतिशत की गिरावट 
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक दिसम्बर 2017 में परिधान निर्यात में पिछले साल के मुकाबले 8 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं वस्त्र एवं परिधान में 3 प्रतिशत की गिरावट आई है। टैक्सटाइल यार्न और तैयार कपड़ों के आयात में 20.48 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

नवीनतम आंकड़े निराशाजनक 
सी.आई.टी.आई. के चेयरमैन संजय जैन ने वस्त्र व परिधान के निर्यात में कमी और आयात में जोरदार बढ़ौतरी पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि नवीनतम आंकड़े निराशाजनक हैं तथा सरकार को घरेलू उद्योग को बचाने के लिए उपाय करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को कॉटन यार्न के निर्यात पर इंसैंटिव देना चाहिए। इससे निर्यात में तेजी आएगी।

टैक्सटाइल व एपैरेल निर्यात 299.6 करोड़ डॉलर रहा
दिसम्बर 2017 में टैक्सटाइल व एपैरेल निर्यात 299.6 करोड़ डॉलर रहा जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 307.5 करोड़ डॉलर था। दिसम्बर 2017 में टैक्सटाइल यार्न, फैब्रिक और तैयार कपड़ों का आयात 16.53 करोड़ अमरीकी डॉलर रहा जबकि पिछले साल दिसम्बर में सिर्फ 13.72 करोड़ डॉलर का टैक्सटाइल यार्न, फैब्रिक व तैयार कपड़ों का आयात हुआ था।

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