Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jan, 2018 12:43 PM
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एन.सी.आर.) में वर्ष 2020 तक सालाना डेढ़ लाख टन इलैक्ट्रानिक-कचरा पैदा होने लगेगा। वर्तमान में यह मात्रा 85,000 टन सालाना तक है। उद्योग मंडल एसोचैम ने यह आकलन जारी किया है। उद्योग मंडल ने कहा है कि दिल्ली राष्ट्रीय...
नई दिल्ली : दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एन.सी.आर.) में वर्ष 2020 तक सालाना डेढ़ लाख टन इलैक्ट्रानिक-कचरा पैदा होने लगेगा। वर्तमान में यह मात्रा 85,000 टन सालाना तक है। उद्योग मंडल एसोचैम ने यह आकलन जारी किया है। उद्योग मंडल ने कहा है कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ई-कचरा साल-दर-साल 25 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।
ई-कचरा में इस तेज रफ्तार से वृद्धि के लिए उद्योग मंडल ने संगठित क्षेत्र में इसका निम्न स्तर पर पुनर्चक्रण, देश में बाहर से पुराने बेकार उपकरणों का तेजी से प्रवाह होना, इसके निपटान के बारे में कम जागरूकता और ई-कचरे के प्रबंधन को लेकर नगर निगम के स्तर पर विभिन्न निकायों के बीच समन्वय की कमी से यह स्थिति बनी है। एसोचैम का कहना है कि इस समय देश में कुल इलैक्ट्रानिक अपशिष्ट का 1.5 प्रतिशत से भी कम को फिर से इस्तेमाल में लाया जाता है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है कि बेहतर सुविधाओं की कमी है, इसके लिए जरूरी कानूनी ढांचा और प्रारूप भी मौजूद नहीं है। वर्ष 2017 में देश में कुल मिलाकर 25 लाख टन ई-कचरा पैदा हुआ।