Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Nov, 2017 11:17 AM
मार्गशीर्ष महीने का आरंभ 5 नवंबर से हो गया है, जो 3 दिसंबर तक रहेगा। इस माह में शंख पूजन का विधान है। ज्योतिष विद्वानों कहते हैं जिस घर में एक महीने तक शंख की पूजा होती है, वहां सदा दमकता रहता है धन। किसी भी शंख को भगवान श्रीकृष्णचन्द्र का पंचजन्य...
मार्गशीर्ष महीने का आरंभ 5 नवंबर से हो गया है, जो 3 दिसंबर तक रहेगा। इस माह में शंख पूजन का विधान है। ज्योतिष विद्वानों कहते हैं जिस घर में एक महीने तक शंख की पूजा होती है, वहां सदा दमकता रहता है धन। किसी भी शंख को भगवान श्रीकृष्णचन्द्र का पंचजन्य शंख मानकर पूजन करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस मंत्र से करें शंख की पूजा
पंचजन्य पूजा मंत्र
त्वं पुरा सागरोत्पन्न विष्णुना विधृत: करे।
निर्मित: सर्वदेवैश्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते।
तव नादेन जीमूता वित्रसन्ति सुरासुरा:।
शशांकायुतदीप्ताभ पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते॥
जो व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में उठकर, स्नान करके भगवान की पूजा करता है, लक्ष्मी उस पर प्रसन्न होती हैं। जो व्यक्ति दिन में और रात्रि में दक्षिण की ओर मुंह करके मल-मूत्र का त्याग करता है, लक्ष्मी उस पर प्रसन्न रहती हैं। कहते हैं कि पूरा अगहन का महीना तुलसी देवी और मां लक्ष्मी का पूजन एक साथ करने और अपनी क्षमता के अनुसार अन्न का दान करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और व्यक्ति के घर में अपना स्थायित्व बना लेती हैं।
श्री सूक्त लक्ष्मी जी की प्रार्थना है। आद्यगुरु शंकराचार्य ने श्री सूक्त की प्रशंसा करते हुए इसे लक्ष्मी का प्राण तथा श्रीयंत्र को लक्ष्मी का शरीर भी कहा है। श्रीयंत्र साक्षात लक्ष्मी का प्रतीक है। यह भौतिक और आर्थिक उन्नति में सहायक होता है। यह 272 प्रकार का होता है। इनमें स्फटिक से निर्मित सुमेरू पर्वत के समान मेरू पृष्ठी श्रीयंत्र सर्वश्रेष्ठ है।
जिस घर में स्फटिक श्रीयंत्र स्थापित होता है, उसमें विद्यमान वास्तुदोषों का निवारण स्वत: ही हो जाता है और परिवार में समृद्धि आती है। शुभ-मुहूर्त में श्रीयंत्र की स्थापना एवं पूजा करनी चाहिए। स्फटिक के अतिरिक्त चांदी अथवा तांबे के पत्र पर उभरे हुए श्रीयंत्र की स्थापना कर पूजन किया जा सकता है।