Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Dec, 2017 12:52 AM
गुजरात में 30 हजार से अधिक मछुआरे दुविधा में फंसे हुए हैं कि वे ‘‘अच्छी मात्रा में मछली पकड़ें’’ या विधानसभा चुनाव में मतदान करें। तटवर्ती गुजरात में फैले 10 विधानसभा क्षेत्रों के मछुआरे मतदान के समय अरब सागर में मछली पकड़ रहे होंगे और उनके अपने...
पोरबंदर : गुजरात में 30 हजार से अधिक मछुआरे दुविधा में फंसे हुए हैं कि वे ‘‘अच्छी मात्रा में मछली पकड़ें’’ या विधानसभा चुनाव में मतदान करें। तटवर्ती गुजरात में फैले 10 विधानसभा क्षेत्रों के मछुआरे मतदान के समय अरब सागर में मछली पकड़ रहे होंगे और उनके अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए समय से घर लौटने की उम्मीद नहीं है।
वलसाड निवासी 25 वर्षीय जितेन मोदी ऐसे मछुआरों में से एक हैं। तटों के पास मछली की कमी मछुआरों को समुद्र के काफी भीतर जाने के लिए बाध्य करती है और वे अच्छी मात्रा में मछली पकडऩे के लिए वहां 15 से 20 दिन रहते हैं। इसका मतलब है कि जितेन मोदी और उनके जैसे कई और मछुआरे विधानसभा चुनाव में मतदान नहीं कर पाएंगे। अधिकतर मछुआरे खारवा समुदाय से आते हैं। इस समुदाय के लोग राज्य के तटवर्ती क्षेत्र में फैले हुए हैं।
खारवा समुदाय का मुख्य केंद्र पोरबंदर है जहां समुदाय के सदस्य सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए आते हैं। पोरबंदर में मछुआरा समुदाय के भरतभाई मोदी ने स्वीकार किया कि समुदाय के बड़ी संख्या में मतदाता मतदान में हिस्सा नहीं ले पाएंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘पहले हम चार पांच दिन जलयात्रा करते थे और घर लौट आते थे। गत कुछ वर्षों से हमें अच्छी मात्रा में मछली पकडऩे के लिए कम से कम 15 दिन की जलयात्रा करनी होती है। यदि मछली दो टन से कम हो तो वह मुश्किल से लाभकारी होती है। इसलिए प्रत्येक नौका अच्छी मात्रा में मछली के लिए समुद्र में अधिकतम समय रहती है।’’ उन्होंने कहा कि यह स्थिति अकेले केवल पोरबंदर में नहीं बल्कि तटवर्ती गुजरात के कम से कम 10 विधानसभा क्षेत्रों में है। यही वह मौसम में जब हमें अच्छी मात्रा में मछली मिलती है।