बेटी की मौत के 4 साल बाद पुलिस ने दर्ज की एफ.आई.आर., सुप्रीम कोर्ट ने की मदद

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Nov, 2017 06:31 PM

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सुखना लेक में 17 साल की बेटी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले आरोपी युवक पर मामला दर्ज करवाने के लिए बाप को चार साल लग गए हैं। चंडीगढ़ पुलिस, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से इंसाफ नहीं मिला तो पिता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

चंडीगढ़, (सुशील राज): सुखना लेक में 17 साल की बेटी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले आरोपी युवक पर मामला दर्ज करवाने के लिए बाप को चार साल लग गए हैं। चंडीगढ़ पुलिस, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से इंसाफ नहीं मिला तो पिता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट में केस की सुनवाई हुई तो सैक्टर-3 थाना पुलिस ने मामले में लीगल राय लेने के बाद मोहाली फे स तीन निवासी अंजलि की मौत के मामले में चार साल बाद उनके पिता सुनील की शिकायत पर अज्ञात युवक पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है। 

सुखना लेक में मिला था शव
मोहाली फेस तीन निवासी सुनील कुमार ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि उसकी 17 वर्षीय बेटी अंजलि 30 जुलाई, 2013 को सुखना लेक में मिली थी। पुलिस ने लड़की को सुखना लेक से निकालकर सैक्टर-16 अस्पताल पहुंचाया। हालत गंभीर होने पर डाक्टरों ने उसे पी.जी.आई. रैफर कर दिया। पी.जी.आई. के डाक्टरों ने अंजलि को मृत घोषित कर दिया था। परिजनों ने आरोप लगाया था उसकी बेटी को आत्महत्या के लिए युवक ने मजबूर किया है। वहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला था कि अंजलि की  मौत पानी में दम घुटने से हुई। इसके अलावा पुलिस ने विसरा जांच के लिए सी.एफ.एस.एल. सैक्टर-36 भेजा था। जिसकी रिपोर्ट नैगटिव आई थी। इस दौरान पुलिस ने अंजलि और नितिन कुमार का मोबाइल फोन जांच के लिए तीन बार सी.एफ.एस.एल. भेजा, लेकिन पुलिस दोनों के मोबाइल लॉक खोल नहीं सकी। इसके बाद पुलिस ने दोनों के मोबाइल फोन दिल्ली स्थित सी.एफ.एस.एल. में जांच के लिए भेजा था, लेकिन वहां भी सी.एफ.एस.एस. टीम मोबाइल नहीं खोल पाई। इसके बाद चंडीगढ़ पुलिस ने मामले की जांच में धारा 174 की कार्रवाई करते हुए केस को बंद कर दिया। 

केस दर्ज करने के लिए हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका
मृतका अंजलि के पिता सुनील कुमार ने 2014 को बेटी की मौत मामले में केस दर्ज करवाने के  लिए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जस्टिस शबीना बंसल ने याचिका पर सुनवाई करते  हुए उसे खारिज कर दिया था। 17 अक्तूबर, 2015 को बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए सुनील कुमार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने बेटी की मौत मामले में केस दर्ज करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा। चंडीगढ़ के स्टैडिंग काऊंसिल रवि प्रकाश ने 12 सितम्बर, 2017 को चंडीगढ़ प्रशासन को ललिता कुमारी बनाम यूपी गवर्नमैंट केस की दलील देते हुए कहा कि अंजलि के मौत मामले इंक्वारी करने की जरूरत नहीं है, मामले में सीधा एफ.आई.आर. दर्ज कर सकते हैं। 14 नवम्बर 2017 को अंजलि की मौत में एफ.आई.आर. दर्ज करने के लिए सुखना लेक चौकी पुलिस को कहा गया। सुखना लेक चौकी इंचार्ज मोहनलाल ने मामले में लीगल राय ली। लीगल राय में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के केस में ललिता कुमारी बनाम यू.पी. गवर्नमैंट केस की दलील को मानते हुए सैक्टर-3 थाना पुलिस ने 21 नवम्बर, 2017 को अज्ञात युवक के खिलाफ आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मामला दर्ज कर लिया। 

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