Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jan, 2018 11:04 AM
जीएसटी जब से लागू हुआ है तब से यह व्यापारियों के गले की हड्डी बना हुआ है। जुलाई से सितंबर तिमाही और अगस्त से नवंबर तक के मंथली जीएसटीआर-1 भरने की बुधवार को आखिरी तारीख है, लेकिन ट्रेड-इंडस्ट्री में इसे एक बार फिर बढ़ाने की मांग जोर पकड़ने लगी है।
नई दिल्लीः जीएसटी जब से लागू हुआ है तब से यह व्यापारियों के गले की हड्डी बना हुआ है। जुलाई से सितंबर तिमाही और अगस्त से नवंबर तक के मंथली जीएसटीआर-1 भरने की बुधवार को आखिरी तारीख है, लेकिन ट्रेड-इंडस्ट्री में इसे एक बार फिर बढ़ाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। टैक्सपेयर्स और प्रफेशनल्स का कहना है कि साइट कोई भी डॉक्युमेंट अपलोड करने पर उसे अक्सेप्ट नहीं कर रही और क्रेडिट नोट जैसे अतिरिक्त इनवॉइसेज की प्रोसेसिंग भी फेल हो रही है। इससे बड़ी संख्या में रिटर्न नही भरे जा सके हैं।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के प्रेजिडेंट बी सी भरतिया और जनरल सेक्रटरी प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, 'पोर्टल ज्यादातर समय हैंग रहा है और लोग लॉग-इन तक नहीं कर पा रहे। चूंकि कई-कई महीनों के रिटर्न और हजारों बिल अपलोड होने हैं, हमने वित्तमंत्री से मांग की है कि वे यह तारीख कम से कम 30 जनवरी तक बढ़वाएं।'
टैक्सपेयर्स के दबाव में बढ़ानी पड़ी थी तारीख
गौरतलब है कि 1.5 करोड़ से कम टर्नओवर वालों को बुधवार तक जुलाई-सितंबर का तिमाही रिटर्न भरना है, जबकि इससे ऊपर के सप्लायर्स के लिए अगस्त से नवंबर का मंथली जीएसटीआर-1 भरना है। पहले इन रिटर्न्स की आखिरी तारीख 31 दिसंबर थी, लेकिन टैक्सपेयर्स के दबाव में सरकार को इसे दस दिन के लिए बढ़ाना पड़ा था। जुलाई के बाद से ही सरकार रिटर्न्स की डेट लगातार बढ़ाती आ रही है और पोर्टल की क्षमता को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं।
जीएसटीएन ने दावा किया था कि उसका सॉफ्टवेयर एक बार में 300 करोड़ इनवॉइसेज प्रोसेस करने की क्षमता रखता है, लेकिन अब तक रिटर्न भरने वालों की तादाद इससे काफी कम रही है। हालांकि जीएसटीएन की दलील रही है कि टैक्सपेयर्स के आखिरी समय में एक साथ रिटर्न के लिए उमड़ने से साइट पर लोड बढ़ रहा है, जबकि आम दिनों में लोग आगे नहीं आ रहे।