Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Nov, 2017 11:07 AM
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात में सत्ताधारी दल के खिलाफ उसी की भाषा में मोर्चा खोल रखा है। कांग्रेस की आईटी सेल के साथ ही खुद राहुल गांधी इन दिनों जुमलों के साथ ही नए-नए तरीके से प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार की नीतियों के खिलाफ हमला...
नई दिल्ली: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात में सत्ताधारी दल के खिलाफ उसी की भाषा में मोर्चा खोल रखा है। कांग्रेस की आईटी सेल के साथ ही खुद राहुल गांधी इन दिनों जुमलों के साथ ही नए-नए तरीके से प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार की नीतियों के खिलाफ हमला बोल रहे हैं। इससे प्रचार अभियान और जुमलेबाजी में कांग्रेस गुजरात में भाजपा को जबर्दस्त टक्कर देती दिख रही है। लेकिन इस सबके बीच एक सवाल जरूर उठ रहा है कि कांग्रेस क्या जमीन पर भी भाजपा के खिलाफ बराबरी का मुकाबला कर रही है। कहीं ऐसा तो नहीं हिमाचल और गुजरात चुनाव के लिए ही राहुल की छवि को गढ़ा जा रहा है। दोनों राज्यों में राहुल गांधी की सभाओं में बड़ी संख्या में भीड़ जुटी है, साथ ही सोशल मीडिया पर भी राहुल गांधी के चाहने वालों की संख्या में तेजी के साथ हिजाफा हुआ है। ऐसे में यदि यह आंकड़े गुजरात में जमीं पर उतारने में कांग्रेस सफल होती है तो इतना तय मानिए कि भाजपा के लिए मुकाबला आसान नहीं होने वाला है। लेकिन राहुल गांधी के भाषणों में मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को गलत ठहराने के लिए कोई ठोस तर्क नहीं है।
राहुल गांधी बोल रहे हैं सरकार पर हमला
दरअसल, जीएसटी के खिलाफ राहुल गांधी सरकार पर हमला तो बोल रहे हैं, लेकिन वास्तव में जीएसटी की परिकल्पना यूपीए सरकार में ही की गई थी। ऐसे में जीएसटी को ठीक तरह से लागू नहीं किए जाने की बात कहकर मतदाताओं के समक्ष सरकार की मानसिकता को कठघरे में नहीं खड़ा किया जा सकता है। वह भी तब और अधिक मुश्किल हो जाता है जब सरकार लगातार उसमें न सिर्फ संशोधन कर रही है, बल्कि यह भी कह रही है कि आगे भी जीएसटी की समीक्षा की जाएगी और यदि त्रुटियां मिलती हैं तो संशोधन की गुंजाईश भी है। ऐसे में उनके भाषण सिर्फ मोदी सरकार पर हमले तक ही सीमित दिखाई दे रहे हैं, मतदाताओं का विश्वास हासिल कर पाएंगे इस पर सवाल अपनी जगह खड़ा दिख रहा है।
GST की एक दर बेहद मुश्किल
राहुल गांधी ने हाल ही में एक सभा में भाषण के दौरान कहा कि 2019 में उनकी सरकार बनने पर देशभर में एक ही दर यानी 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लागू की जाएगी। आर्थिक जानकारों की मानें तो भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश में यह बेहद मुश्किल है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम भी कहतें हैं कि जीएसटी का एक रेट तो होना चाहिए लेकिन इसमें लक्जरी और साधारण वस्तुओं में कर प्लस माइनस करना होगा। वहीं अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रह्मणयम तीन दरों में जीएसटी लागू करने को सही मानते हैं। अर्थशास्त्री कहते हैं कि एक दर छोटे देशों में तो संभव हो सकती है, लेकिन भारत जैसे बड़े देशों में यह संभव नहीं है।
सवालों के साथ विकल्प भी जरूरी
राहुल गांधी नोटबंदी और ब्लैक मनी पर मोदी सरकार पर लगातार सवाल तो उठा रहे हैं। नोटबंदी को सरकारी लूट तक कांग्रेस की तरफ से करार दिया जा रहा है। लेकिन कालेधन के खिलाफ मोदी की लड़ाई को गलत ठहराने के लिए राहुल गांधी को जनता को यह भी तो बताना चाहिए कि वास्तव में देश से भ्रष्टाचार और कालाधन इस तरह खत्म किया जा सकता है।