गोधरा: जीत के लिए भाजपा को चबाने पड़े नाकों चने

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Dec, 2017 10:58 AM

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गुजरात विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर हार-जीत का फैसला बहुत कम अंतर से हुआ है। इनमें कुछ तो भाजपा के खाते में हैं और कुछ कांगे्रस के हिस्से की। ऐसी ही एक सीट गोधरा भी रही, जहां भाजपा को जीतने में नाकों चने चबाने पड़े। 2002 के दंगों के आरंभ बिंदु...

नई दिल्ली: गुजरात विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर हार-जीत का फैसला बहुत कम अंतर से हुआ है। इनमें कुछ तो भाजपा के खाते में हैं और कुछ कांगे्रस के हिस्से की। ऐसी ही एक सीट गोधरा भी रही, जहां भाजपा को जीतने में नाकों चने चबाने पड़े। 2002 के दंगों के आरंभ बिंदु गोधरा में पांच निर्दलीय मुसलमान उम्मीदवारों का होना यहां 258 वोट के मामूली अंतर से कांगे्रस की हार की मुख्य वजह बनी। इस सीट पर भाजपा के उम्मीदवार सीके राजुली विजयी रहे जो अगस्त में हुए राज्यसभा चुनाव के समय कांगे्रस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। वहीं कांगे्रस की ओर से राजेंद्र सिंह परमार मैदान में थे, जिनको 23 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं के अलावा ओबीसी वोटों पर भरोसा था। पांच मुस्लिम निर्दलीय उम्मीदवारों में मुख्तार मंसूरी, मेहंदीशा दीवान, इनायत खान पाठान, वसीन भाना और जुबैर उमरजी थे, जिनको मिले वोटों की तादाद 4331 रही। इससे अल्पसंख्यक वोट बिखर गए।इस मुश्किल लड़ाई में भाजपा के सामने कम चुनौतियां नहीं थीं, लेकिन उसने समय रहते उनका हल निकाल लिया। 

भाजपा के बागी जसवंत सिंह सलाम सिंह परमार ने अपने समर्थन वाले क्षेत्रों से लगभग 18 हजार वोट हासिल किए। गोधरा में काफी लोगों का मानना है कि अगर जसवंत चुनाव न लड़ते तो भाजपा की जीत बड़े अंतर से होती। पंचमहल लोकसभा सीट के तहत आने वाले गोधरा में ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब मुस्लिम प्रत्याशी ने कांगे्रस का खेल बिगाड़ा हो। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांगे्रस का बड़ा चेहरा रहे शंकर सिंह वाघेला 2081 वोटों से हार गए थे। उस समय लोजपा के कलीम अब्दुल लतीफ शेख को 23 हजार वोट और अखिल भारतीय मानव सेवा दल के प्रतिनिधि के तौर पर मुख्तार मंसूरी को 10 हजार वोट मिले थे। इसको वाघेला की हार की मुख्य वजह माना गया था। इस बार कांगे्रस को जीत दिला सकने वाली 35 मुस्लिम बहुल सीटों पर भाजपा वोटों की अच्छा खासा हिस्सा हथिया लेने में कामयाब रही। इनमें 34 सीटें जहां अल्पसंख्यक मतदाताओं की तादाद 15 प्रतिशत से अधिक थी, उनमें भाजपा व कांगे्रस ने 17-17 सीटें जीतीं। एक सीट वडगाम की कांग्रेस के समर्थन से निर्दलीय लड़ रहे जिग्नेश मेवाणी ने जीती, जहां 28 प्रतिशत मुस्लिम वोटर थे।

इस बार मुस्लिम फैक्टर नहीं रहा निर्णायक
गुजरात की आबादी में मुसलमानों का हिस्सा 10 प्रतिशत है। गौरतलब हैं कि इस बार के चुनाव में कांगे्रस ने जहां 6 मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे थे,वहीं भाजपा से एक भी नहीं था। कांगे्रेस के 6 में से  मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। इनमें अहमदाबाद की जमालपुर खदिया सीट से इमरान खोड़ावाला जीते, जहां मुस्लिम मतदाता 61 प्रतिशत थे। अहमदाबाद की ही दरियापुर सीट से गयासुद्दीन शेख और सौराष्ट्र की वंकानेर सीट से जावेद पीरजारा विजयी रहे। शेख 6000 वोट के अंतर से और पीरजारा 1361 मतों के अंतर से जीते। इसके अलावा कांग्रेस ने अनुसूचित जाति वाली दानीलिमड़ा सीट पर भी जीत का परचम लहराया, जहां 46 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता थी।

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