हार्ट आफ एशिया बैठक में भी आतंकवाद का मसला उठाएगा भारत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Nov, 2017 08:18 PM

india will take up the issue of terrorism in the heart of asia meeting

अफगानिस्तान में  शांति व स्थिरता बहाल करने के उपायों पर विचार करने के लिए इस्तानबुल प्रोसेस के तहत गठित हार्ट आफ एशिया की मंत्रिस्तरीय बैठक अजरबैजान में एक दिसम्बर को होगी जिसमें भारतीय विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर भारत की अगुवाई करेंगे। हालांकि...

नई दिल्ली:अफगानिस्तान में  शांति व स्थिरता बहाल करने के उपायों पर विचार करने के लिए इस्तानबुल प्रोसेस के तहत गठित हार्ट आफ एशिया की मंत्रिस्तरीय बैठक अजरबैजान में एक दिसम्बर को होगी जिसमें भारतीय विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर भारत की अगुवाई करेंगे। हालांकि पिछले साल भारत ने अमृतसर में हार्ट आफ एशिया की मंत्रिस्तरीय बैठक दिसम्बर में अयोजित कर भारत की विदेश नीति में अफगानिस्तान को प्राथमिकता पर जोर दिया था लेकिन इस बार अजरबैजान में भारत से विदेश मंत्री स्तर की भागीदारी नहीं होगी।

रूस के सोची शहर में 29 व 30 नवम्बर को आयोजित हो रही शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के तुरंत बाद हार्ट आफ एशिया की बैठक हो रही है। एससीओ बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज कर रही हैं। जिस तरह भारत सीमा पार आतंकवाद का शिकार है उसी तरह अफगानिस्तान भी पाकिस्तान के इलाके से संचालित आतंकवाद से त्रस्त है इसलिए हार्ट आफ एशिया बैठक में भी अफगानिस्तान में चल रही अशांति के मद्देनजर भारत आतंकवाद का मसला जोरशोर से उठाएगा।

हार्ट आफ एशिया सम्मेलन में भारत के अलावा अजरबैजान, रूस, चीन , पाकिस्तान,सऊदी अरब, कजाकस्तान, किर्गिजिस्तान, ताजिकिस्तान, ईरान, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राष्ट्र के संगठनों के प्रतिनिधि भाग लेंगे।

पिछले साल हार्ट आफ एशिया की अमृतसर में हुई छठी मंत्रिस्तरीय बैठक का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था जहां अपने सम्बोधन में उन्होंने आतंकवाद के लिए पाकिस्तान को खूब कोसा था। इस बैठक में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने भी भाग लिया था।

यहां राजनयिक सूत्रों के मुताबिक भारत अफगानिस्तान पर अपनी चिरपरिचित नीति को दोहराएगा कि अफगानिस्तान मसले का हल अफगानी लोगों की अगुवाई में ही निकाला जा सकता है। उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान मसले के हल में पाकिस्तान हस्तक्षेप करता है और अपने निहित स्वार्थों के अनुरूप अफगान मसले का हल थोपना चाहता है। इस वजह से अफगानिस्तान में अशांति बनी हुई है।

इस बीच अफगानिस्तान में सार्वजनिक परिवहन सेवा को मजबूत करने के लिए भारत ने 28 लाख डालर का विशेष अनुदान दिया है। काबुल में भारतीय राजदूत और अफगानिस्तान के परिवहन मंत्री ने इस आशय की सहमति पर हस्ताक्षर किए।

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