अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को अशांत कर सकता है इस्लामी कट्टरवाद : नेतन्याहू

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Jan, 2018 12:02 AM

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इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को कहा कि इस्लामी कट्टरवाद और इससे संबंधित आतंकवादियों का खतरा अंतरराष्ट्रीय तानेबाने को प्रभावित कर सकता है तथा इस चुनौती से निपटने के लिए भारत एवं इस्राइल के बीच अधिक मजबूत संबंधों की जरूरत है।

नेशनल डेस्क: इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को कहा कि इस्लामी कट्टरवाद और इससे संबंधित आतंकवादियों का खतरा अंतरराष्ट्रीय तानेबाने को प्रभावित कर सकता है तथा इस चुनौती से निपटने के लिए भारत एवं इस्राइल के बीच अधिक मजबूत संबंधों की जरूरत है।

रायसीना संवाद’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए नेतन्याहू ने भारत को इस्राइल का ‘स्वाभाविक मित्र एवं साझेदार’ करार दिया। उनके इस कथन पर दर्शक दीर्घा में बैठे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुस्कराए। नेतन्याहू बुधवार को मोदी के साथ गुजरात का दौरा करेंगे। मोदी ने पिछले साल इस्राइल का दौरा किया था। वह इस्राइल का दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने।

नेतन्याहू ने कहा, ‘‘नवोन्मेष के लिए किए जा रहे प्रयास को इस्लामी कट्टरवाद और इससे संबंधित आतंकवादी चुनौती दे रहे हैं। ये अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को अशांत कर सकते हैं।’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक मजबूत राष्ट्र के तौर पर उभरने के लिए आॢथक, सैन्य और राजनीतिक ताकत विकसित करने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी इस उद्घाटन सत्र में शामिल हुए। नेतन्याहू ने भारत में लाल फीताशाही पर अंकुश लगाने और कारोबार सुगमता के लिए उठाए कदमों को लेकर मोदी सरकार की तारीफ की। भारत के छह दिनों के दौरे पर आए नेतन्याहू ने कहा कि एक सरकार आॢथक प्रगति को सुगम बनाना और बाधित करना दोनों काम कर सकती है। अगर कारोबारी इकाइयों के जरिए नवोन्मेष में मददगार मुक्त बाजार उपलब्ध है तो प्रगति संभव है।

उन्होंने कहा, ‘‘कमजोर नहीं टिकते, मजबूत टिकते हैं आप मजबूत के साथ गठजोड़ करिए। ’’ इस्राइली प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की रक्षा के लिए एक मजबूत सेना की जरूरत होती है और इसके लिए बहुत सारे पैसे की जरूरत है। यह पैसा मजबूत अर्थव्यवस्था से आता है। नेतन्याहू ने इस बात पर जोर दिया कि लोकतांत्रिक देशों के बीच गठजोड़ होना चाहिए। इस कार्यक्रम का आयोजन विदेश मंत्रालय और ‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन’ की ओर से किया गया था। 

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