Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Nov, 2017 05:39 PM
दूसरे विश्व युद्ध में बुरी तरह बर्बाद होने और अपने दो महत्वपूर्ण शहरों (हिरोशिमा व नागासाकी) पर परमाणु हमले झेलने के बावजूद जापान ने जबरदस्त तरक्की की है। मगर एक मामले में जापान के लोग हमेशा खुद को भारतीयों से कम भाग्यशाली मानते हैं...
टोक्योः दूसरे विश्व युद्ध में बुरी तरह बर्बाद होने और अपने दो महत्वपूर्ण शहरों (हिरोशिमा व नागासाकी) पर परमाणु हमले झेलने के बावजूद जापान ने जबरदस्त तरक्की की है। मगर एक मामले में जापान के लोग हमेशा खुद को भारतीयों से कम भाग्यशाली मानते हैं। हर जापानी की ख्वाहिश है कि 'जैसे भारतीयों को अपना संविधान खुद लिखने का सौभाग्य मिला, काश वैसा जापान को भी मिलता।'
दरअसल, जापान का संविधान जापानियों ने नहीं, बल्कि अमरीकी सेना के वरिष्ठ अधिकारियों, कानूनविदों और राजनेताओं ने मिलकर लिखा था। इन्होंने मनमाने ढंग से तय कर दिया था कि जापान किस राह पर जाएगा। दरअसल, दूसरे विश्व युद्ध में अमरीका ने परमाणु बम गिराए, जिससे जापान हार गया। इसके बाद अमरीका ने कथित रूप से जापान के पुनर्निर्माण और वहां नागरिक मूल्य तय करने के लिए संविधान लिखवाना शुरू किया।
फरवरी 1946 की शुरुआत में 24 आदमियों के समूह ने ताबड़तोड़ जापान का भविष्य लिखना शुरू किया। ये सभी अमरीकन थे और इनमें 16 तो सैन्य अधिकारी थे। ये टोक्यो की एक परिवर्तित नाट्यशाला में आपात् बैठक कर महज एक सप्ताह में जापान की संसद 'डाइट' के लिए संविधान लिख डाला। अंततः जापानियों को न चाहते हुए भी इसे स्वीकारना पड़ा। इसके विपरीत भारत का संविधान सालों की तैयारी के बाद, हर पक्ष से बातचीत कर, खुद भारत के लोगों ने लिखा। यही वजह है कि जापान की संसद में कई बार इस ख्वाहिश का जिक्र हुआ कि 'काश ! हम भी भारत की तरह खुद अपना संविधान लिखते।'