कब्रिस्तान को लेकर केजरीवाल और मोदी सरकार आमने- सामने

Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Dec, 2017 06:54 PM

kejriwal and modi government face to face with graveyard

दिल्ली में लगभग सौ साल पुराना एक कब्रिस्तान केन्द्र और दिल्ली सरकार के बीच मालिकाना हक के विवाद में उलझ गया है। मध्य दिल्ली में माता सुंदरी रोड स्थित इस कब्रिस्तान पर केन्द्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवायी शुरू की...

नई दिल्ली: दिल्ली में लगभग सौ साल पुराना एक कब्रिस्तान केन्द्र और दिल्ली सरकार के बीच मालिकाना हक के विवाद में उलझ गया है। मध्य दिल्ली में माता सुंदरी रोड स्थित इस कब्रिस्तान पर केन्द्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवायी शुरू की है।

वहीं, केजरीवाल सरकार ने केन्द्र सरकार को कानून व्यवस्था और मालिकाना हक संबंधी तथ्यों से अवगत कराते हुए लगभग सौ साल पुराने इस कब्रिस्तान पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवायी नहीं करने का परामर्श दिया है। मंत्रालय के मातहत भूमि एवं विकास विभाग के निदेशक को दिल्ली सरकार की राजस्व सचिव मनीषा सक्सेना ने कहा है कि कब्रिस्तान के ऐतिहासिक महत्व और अन्य तथ्यों के मद्देनजर कोई कार्रवाई नहीं करना चाहिए। सक्सेना वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष भी हैं।

इस मामले को बोर्ड के समक्ष उठाने वाले आप विधायक अमानतुल्ला खान ने बताया कि केन्द्र और राज्य सरकार के बीच कब्रिस्तान की जमीन पर मालिकाना हक को लेकर विवाद है। उन्होंने कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा राजस्व विभाग के दस्तावेजी रिकॉर्ड के हवाले से कब्रिस्तान की आठ बीघा जमीन पर बोर्ड का मालिकाना हक बताया गया है। खान ने कहा कि इसके बावजूद भूमि एवं विकास विभाग ने कब्रिस्तान के एक हिस्से में रह रहे वक्फ बोर्ड के कुछ कर्मचारियों के आवास हटाने की कार्रवायी शुरू की है।

इस बारे में विभाग द्वारा बोर्ड को जारी नोटिस के जवाब में सक्सेना ने कहा कि राजस्व रिकॉर्ड के मुताबिक आठ बीघा क्षेत्रफल वाला यह कब्रिस्तान 1975 में अधिसूचित किया गया है। अधिसूचना में इसे सौ साल पुराना कब्रिस्तान बताते हुए कहा गया है कि इस अधिसूचना को अब तक किसी भी सक्षम न्यायाधिकरण में चुनौती नहीं दी गई है। इसलिए वक्फ कानून के मुताबिक इस संपत्ति का मालिकाना हक दिल्ली वक्फ बोर्ड के पास है।

उन्होंने दलील दी है कि वक्फ अधिनियम 1995 के तहत वक्फ की किसी संपत्ति के मालिकाना हक के विवाद को सुलझाने का उपयुक्त मंच वक्फ ट्रिब्यूनल है। इसके हवाले से सक्सेना ने विभाग को किसी भी तरह की कार्रवायी से बचने का परामर्श देते हुए आगाह किया कि किसी भी प्रकार की कार्रवायी के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं।  

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