Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Dec, 2017 07:27 PM
अयोध्या के मंदिर-मस्जिद विवाद में प्रमुख पक्षकार सेन्ट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल के उच्चतम न्यायालय में 2019 जुलाई के बाद सुनवाई करने संबंधी दलील पर मुस्लिम पक्ष मेें मतभेद पैदा हो गया है।
नेशनल डेस्क : अयोध्या के मंदिर-मस्जिद विवाद में प्रमुख पक्षकार सेन्ट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल के उच्चतम न्यायालय में 2019 जुलाई के बाद सुनवाई करने संबंधी दलील पर मुस्लिम पक्ष मेें मतभेद पैदा हो गया है।
बोर्ड से जुड़े और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी तथा उच्चतम न्यायालय में बोर्ड की ओर से वकील मुश्ताक अहमद सिद्दीकी ने सिब्बल के रुख का समर्थन किया जबकि मामले से जुड़े और अयोध्या में विवादित धर्मस्थल और उसके आसपास अधिग्रहीत परिसर के निकट रहने वाले हाजी महबूब ने सिब्बल की दलील को नकार दिया।
जिलानी और अहमद का कहना था कि यह सही है कि इस विवाद की सुनवाई शुरू होते ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके समर्थक संगठन सांप्रदायिकता फैलाना शुरू कर देंगे। समाज में तनाव का माहौल बन सकता है, लेकिन इसके उलट महबूब ने कहा कि विवाद जल्द समाप्त होना चाहिए। इसके लिए न्यायालय में प्रतिदिन सुनवाई जरूरी है।
बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाजी महबूब ने कहा कि सिब्बल का बयान उचित नहीं हैं। उनका कहना था कि हाजी महबूब बोर्ड के वकील हैं, लेकिन वह एक राजनीतिक दल से भी जुड़े हुए हैं। न्यायालय में दिया गया उनके बयान से वह सहमत नहीं हैं। इस मसले का जल्द से जल्द समाधान होना चाहिए।