मेडिकल कॉलेज रिश्वत केस में सीबीआई को नोटिस, जाने पूरा मामला

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Jan, 2018 08:12 PM

notice to cbi in medical college bribe case

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मेडिकल कॉलेज रिश्वत मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को आज नोटिस जारी करके 22 जनवरी तक जवाब मांगा। यह मामला रिश्वत कांड के तीन आरोपी उड़ीसा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आई एम कुदुसी, बिचौलिये विश्वनाथ अग्रवाल...

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने मेडिकल कॉलेज रिश्वत मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को आज नोटिस जारी करके 22 जनवरी तक जवाब मांगा। यह मामला रिश्वत कांड के तीन आरोपी उड़ीसा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आई एम कुदुसी, बिचौलिये विश्वनाथ अग्रवाल और प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के बीपी यादव के बीच फोन पर हुई गुप्त बातचीत के लीक होने से जुड़ा है। यह बातचीत सीबीआई ने रिकॉर्ड कर ली थी।

रिकॉर्ड बातचीत का ट्रांसक्रिप्शन किसी तरह लीक हो गया, जिसपर उच्च न्यायालय ने सीबीआई से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति कुदुसी पर आरोप है कि उन्होंने लखनऊ के प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के मामले को गैर कानूनी तरीके से निबटाने के लिए अपनी एक करीबी भावना पांडेय, मेडिकल इंस्टीट्यूट के मालिक बीडी यादव तथा उच्चतम न्यायालय में ऊंचे संपर्को का दावा करने वाले एक बिचौलिये विश्वनाथ अग्रवाल के साथ मिलकर साजिश रची थी। 

यह साजिश प्रसाद मेडिकल कॉलेज पर मानक के अनुरूप सुविधायें नहीं देने की वजह से सरकार द्वारा वहां एक या दो साल के लिए मेडिकल सीटों के दाखिले पर लगाई गई रोक को हटवाने के लिए रची गयी थी। सीबीआई ने इस मामले में न्यायमूर्ति कुदुसी के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला बनाते हुए प्राथमिकी दर्ज की थी। इसमें बताया गया था मेडिकल इंस्टीट्यूट का प्रबंधन संभालने वाले बीपी यादव पहले एक व्यक्ति न्यायमूर्ति कुदुसी और पांडेय के संपर्क में आये और फिर मामले को सेटल करने के लिए साजिश रची गई। 

न्यायमूर्ति कुदुसी ने उन्हें राय दी कि इस रोक के खिलाफ दाखिल अर्जी को वह उच्चतम न्यायालय से वापस ले लें और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दाखिल करें।  ऐसा किए जाने पर इलाहबाद उच्च न्यायालय ने सरकार के रोक के फैसले पर अंतरिम स्थगनादेश जारी किया था। जब मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया इस मामले में फैसले को लेकर उच्चतम न्यायालय पहुंची तो न्यायमूर्ति कुदुसी और पांडेय ने बीडी यादव को भरोसा दिलाया कि वे अपने संपर्कों के माध्यम से उच्चतम न्यायालय में मामले को उनके पक्ष में करवा देंगे। 

इसके लिए तीनों के बीच फोन पर गुप्त बातचीत हुई थी। यह बातचीत किसी तरह से लीक हो गयी। मामला न्यायालय के विचाराधीन होने के दौरान ऐसा होने पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।  

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