Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Nov, 2017 09:11 AM
योग और सनातन संस्कृति में तेल मालिश को बहुत उपयोगी माना गया है। ज्योतिष विद्वान मानते हैं अभयंग स्नान (तेल लगाकर नहाना) शरीर को बल प्रदान करता है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी मालिश शरीर के स्थानिय अंग को रक्त संचार से परिपूर्ण कर देती है। उपयुक्त तरीके...
योग और सनातन संस्कृति में तेल मालिश को बहुत उपयोगी माना गया है। ज्योतिष विद्वान मानते हैं अभयंग स्नान (तेल लगाकर नहाना) शरीर को बल प्रदान करता है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी मालिश शरीर के स्थानिय अंग को रक्त संचार से परिपूर्ण कर देती है। उपयुक्त तरीके से की गई तेल मालिश नसों से संबंधित कई विकारों को दूर करके शरीर में ऊर्जा का प्रवाह करती है। ज्यतिष दृष्टिकोण से मालिश का संबंध शनि, शुक्र और बुध ग्रह से होता है। सभी प्रकार के तेलों पर शनि का वर्चस्व होता है। शरीर की नसों पर बुध का अधिपत्य होता है तथा त्वचा पर शुक्र का अधिपत्य होता। इसी भांति विभिन्न फूलों के तेलों पर विभिन्न ग्रहों का वर्चस्व होता है। चिकित्सा ज्योतिष प्रणाली के अनुसार तेलों के प्रयोग से विभिन्न बीमारियों से बचा जा सकता है।
चन्दन के तेल की मालिश लू, तपेदिक तथा ज्वर से छुटकारा दिलवाती है।
रातरानी के तेल की मालिश नींद न आने की समस्या को दूर करती है।
चमेली का तेल शारिरिक दुर्बलता दूर करता है।
चंपा का तेल बुद्धि को तीव्र करता है।
मोगरे का तेल काम उत्तेजना बढ़ाता है।
सरसों का तेल हड्डियों के विकार को ठीक करता है।
तग्गर का तेल हरणियां और मस्सों में लाभदायक होता है।
केवड़े का तेल माइग्रेन में लाभदायक होता है।
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com