Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Nov, 2017 04:34 PM
चीन को अपना दोस्त बताने वाला पाकिस्तान उसके साथ भी दोहरी चाल खेलने से बाज नहीं आ रहा है। पाक ने ड्रैगन को दूसरा बड़ा झटका देते हुए ग्वादर फ्री जोन में चीन की करंसी चलाने की मांग को सिरे से नकार दिया है
इस्लामाबादः चीन को अपना दोस्त बताने वाला पाकिस्तान उसके साथ भी दोहरी चाल खेलने से बाज नहीं आ रहा है। पाक ने ड्रैगन को दूसरा बड़ा झटका देते हुए ग्वादर फ्री जोन में चीन की करंसी चलाने की मांग को सिरे से नकार दिया है। हालांकि इसके पीछे पाकिस्तान ने देश की आर्थिक संप्रभुता पर खतरे को बड़ी वजह बताया है लेकिन जानकार इसके पीछे कुछ और वजह मान रहे हैं। जानकारों का मानना है कि इसके पीछे बड़ी वजह आर्थिक नहीं बल्कि राजनीतिक है।
पाक अधिकारियों के अनुसार चीन अपनी मुद्रा RMB के अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की नीति के तहत पाकिस्तान में अपनी करंसी को शुरू करना चाहता है। RMB चीनी मुद्रा का आधिकारिक नाम है। दरअसल, चीनी अधिकारी अमरीकी डॉलर और पाक रुपए के इस्तेमाल के कारण करंसी एक्सचेंज से जुड़े जोखिम से बचना चाहते थे। RMB के इस्तेमाल की चीन की मांग का वित्त मंत्रालय ही नहीं स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने भी कड़ा विरोध किया है। अब दोनों ही पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि आगे भी सभी वित्तीय लेनदेन मौजूदा करंसी स्वैप व्यवस्था के तहत ही होंगे।
ऑब्जरवर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष वी पंत के अनुसार एक तरफ चीन जहां अपनी करंसी के जरिए पाकिस्तान में इकॉनिमी डॉमिनेंस बनाना चाहता है वहीं पाकिस्तान के राजनेता इसके लिए तैयार नहीं हैं। इन नेताओं का मानना है कि ऐसा करना देश के लिए सही नहीं होगा। वहीं चीन इसके जरिए सीपैक में लगी राशि की वापसी को भी सुनिश्चित करना चाह रहा है। पंत मानते हैं कि पाकिस्तान के लिए सीपैक इलाके में चीनी की करंसी को चलाने से इंकार करने के पीछे दूसरी बड़ी वजह यह भी है कि यदि वह ऐसा करता है तो उस पर सवाल खड़े हो जाएंगे।
गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले भी पाकिस्तान ने एक डैम प्रोजेक्ट के लिए 14 अरब डॉलर की चीनी मदद की पेशकश को ठुकरा दिया चुका है। पाकिस्तान का कहना था कि चीन 60 अरब डॉलर के CPEC प्रॉजैक्ट से इस डैम प्रॉजेक्ट को बाहर रखे और इसे पूरी तरह पाकिस्तान को ही बनाने दे। यह पॉजेक्ट पीओके में स्थित है जिस पर भारत अपना दावा करता है। इस लिहाज से देखा जाए तो कुछ ही दिनों में पाकिस्तान की तरफ से चीन को मिला यह दूसरा बड़ा झटका है। इससे पहले एशियन डिवैलपमैट बैंक ने इस प्राजेक्ट के लिए कर्ज देने से मना कर दिया था क्योंकि यह विवादित इलाके में बन रहा है