प्रफुल्ल पटेल को शायद भाजपा की ही शरण लेनी पड़ेगी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jan, 2018 03:15 AM

praful patel may have to seek refuge from the bjp

सूत्रों के अनुसार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता प्रफुल्ल पटेल भाजपा में शामिल होने की योजना बना रहे हैं क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल होने और भंडारा-गोंदिया लोकसभा हलके से प्रफुल्ल पटेल को हराने...

सूत्रों के अनुसार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता प्रफुल्ल पटेल भाजपा में शामिल होने की योजना बना रहे हैं क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल होने और भंडारा-गोंदिया लोकसभा हलके से प्रफुल्ल पटेल को हराने वाले राणा पटोले भाजपा को छोड़ कर फिर से कांग्रेस में लौट आए हैं।

ऐसी कानाफूसी चल रही है कि शरद पवार 2019 के आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन चाहते हैं और प्रफुल्ल पटेल को उन्होंने बता दिया था कि इस गठबंधन की स्थिति में उनके हलके से कांग्रेस उम्मीदवार ही चुनाव लड़ेगा। शरद पवार इस बात को लेकर भी प्रफुल्ल पटेल पर नाराज हैं कि उन्होंने हाल ही के राज्यसभा चुनाव में एक राकांपा विधायक को कांग्रेसी उम्मीदवार अहमद पटेल के विरुद्ध मतदान करने पर मजबूर किया था। 

बिहार में दहेज आंदोलन और महादलित पार्टी की रैली 
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराब पर प्रतिबंध लगाने के बाद अब दूसरा नारा दहेज प्रथा के विरुद्ध बुलंद किया है। यानी कि न दहेज लो और न दहेज दो। इस काम के लिए वह अपने पुलिस विभाग तथा  प्रशासकीय तंत्र को प्रयुक्त करेंगे। इसी बीच शरद यादव 21 जनवरी 2018 को नंदन गांव में पुलिस द्वारा 29 पुरुषों और 10 महिलाओं को गिरफ्तार करने तथा 99 दलितों के विरुद्ध मुख्यमंत्री की बक्सर जिले की यात्रा के मौके पर पत्थरबाजी करने के आरोप में मामला दर्ज किए जाने को लेकर महादलित पंचायत की रैली आयोजित करने जा रहे हैं।  यादव ने इस प्रकरण में हाईकोर्ट जज के द्वारा जांच करवाए जाने की मांग की है।

उपचुनाव में वसुंधरा सरकार का भविष्य दाव पर 
राजस्थान भाजपा की राजनीति दो लोकसभा और दो विधानसभा उपचुनावों के मद्देनजर फिर से गर्माहट में आ रही है। जैसे-जैसे ये चुनाव नजदीक आ रहे हैं भाजपा सरकार को यह ङ्क्षचता सता रही है कि यदि इनमें से कोई सीट हाथों से निकल गई तो भाजपा सरकार पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। क्योंकि भाजपा हाईकमान ने इन चुनावों के लिए पूरी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को दे रखी है इसलिए सभी उम्मीदवार उन्होंने अपनी मर्जी से तय किए हैं तथा अलवर में तो अपने मंत्री जसवंत सिंह यादव को खड़ा किया है जबकि इस चुनाव क्षेत्र के 6 विधायकों ने उन्हें सूचित किया था कि जसवंत सिंह यादव को टिकट न दिया जाए क्योंकि ऐसी संभावना है कि वह चुनाव हार सकते हैं। दूसरी ओर अजमेर लोकसभा क्षेत्र के लिए वसुंधरा का मानना है कि उन्हें मुस्लिम वोट तो मिलेंगे नहीं इसलिए पार्टी ने मुस्लिम वोट को विभाजित करने के लिए 8 निर्दलीय मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारने की व्यवस्था की है। भाजपा सूत्रों के अनुसार इन चुनावों के लिए आर.एस.एस. कार्यकत्र्ता कोई अधिक मशक्कत नहीं कर रहे। 

त्रिपुरा में भाजपा को चुनावी गठबंधन की तलाश
त्रिपुरा में आदिवासी संगठन ‘आई.पी.एफ.टी.’ के साथ गठबंधन बनाने की भाजपा की संभावनाएं साकार होने की ओर बढ़ रही हैं। अगले माह होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले दोनों के बीच औपचारिक चुनावी गठबंधन हो जाएगा। 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पूर्वोत्तर भारत में भाजपा ने बहुत तेजी से पांव फैलाए हैं और कम से कम 4 राज्यों असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में यह या तो अपने बूते पर या फिर गठबंधन के माध्यम से सत्तारूढ़ है। गौरतलब है कि आई.पी.एफ.टी. ‘तिपरालैंड’ नाम से एक अलग राज्य की मांग कर रहा है लेकिन भाजपा इस मांग का समर्थन करती नहीं लगती। अब तक तो यहीं संकेत मिले हैं कि  भाजपा केवल त्रिपुरा के आदिवासी बहुल इलाकों को अधिक स्वायतत्ता देने पर ही राजी हो सकती है। दूसरी ओर आदिवासी त्विपरा राष्ट्रवादी पार्टी (आई.एन.पी.टी.) कांग्रेस से भी वार्तालाप चला रही है और भाजपा से भी तथा इसके साथ-साथ अपनी वोट हिस्सेदारी सुधारने के लिए माकपा के विरुद्ध जबरदस्त आंदोलन चला रही है।-राहिल नोरा चोपड़ा 

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