Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Jan, 2018 12:56 PM
सरकार रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने की दिशा में कदम बढ़ाने जा रही है। माना जा रहा है कि जीएसटी काउंसिल की 18 जनवरी को नई दिल्ली में होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है। हालांकि केंद्र ने जो विकल्प राज्यों को सुझाया है, उसमें...
नई दिल्लीः सरकार रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने की दिशा में कदम बढ़ाने जा रही है। माना जा रहा है कि जीएसटी काउंसिल की 18 जनवरी को नई दिल्ली में होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है। हालांकि केंद्र ने जो विकल्प राज्यों को सुझाया है, उसमें जीएसटी के दायरे में रियल एस्टेट के आने के बाद भी स्टांप ड्यूटी और प्रॉपर्टी टैक्स को बरकरार रखा जा सकता है।
केंद्र सरकार ने इस संबंध में पहल करते हुए जीएसटी काउंसिल की 10 नवंबर को गुवाहटी में हुई 23वीं बैठक के एजेंडा में एक पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन रखा था, लेकिन समयाभाव के चलते इस पर चर्चा नहीं हो सकी। इसीलिए अब आगामी बैठक में इस पर चर्चा होने के आसार हैं।
अभी चार तरह के टैक्स
फिलहाल रियल एस्टेट पर मुख्यतः चार प्रकार के टैक्स व शुल्क लगते हैं जिनमें स्टांप ड्यूटी, प्रॉपर्टी टैक्स, रजिस्ट्रेशन फीस और भवन निर्माण पर उपकर शामिल हैं। रियल एस्टेट पर जीएसटी लागू करने के बाद प्रॉपर्टी टैक्स और स्टांप ड्यूटी को बरकरार रखा जा सकता है जबकि बिल्डिंग सेस को जीएसटी में ही समाहित किया जा सकता है। फिलहाल जमीन की बिक्री पर राज्य सरकारें स्टांप शुल्क लगाती हैं।