पी.यू. सीनेट बैठक : उम्मीदवार की एलिजिबिलिटी और सुटेबिल्टी पर हुई लंबी बहस

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jan, 2018 01:03 PM

pu senate meeting

प्रिंसीपल के इंटरव्यू में एलीबिलिटी के साथ सुटेबिल्टी क्यों देखी जाती है। जब उम्मीदवार एलिजिबल है तो उसे अपांइट कर देना चाहिए। रविवार को। यह बात रविवार को पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट मीटिंग के दौरान सीनेटर प्रो. राजेश गिल ने कही। फिर सीनेटर सुभाष ने...

चंडीगढ़, (रश्मि हंस) : प्रिंसीपल के इंटरव्यू में एलीबिलिटी के साथ सुटेबिल्टी क्यों देखी जाती है। जब उम्मीदवार एलिजिबल है तो उसे अपांइट कर देना चाहिए। रविवार को। यह बात रविवार को पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट मीटिंग के दौरान सीनेटर प्रो. राजेश गिल ने कही। फिर सीनेटर सुभाष ने कहा कि पूरी दुनिया में युवाओं को काम करने का मौका दिया जा रहा है। फ्रांस में 38 साल का युवा अध्यक्ष बन गया है। उन्होंने कहा कि हमें युवाओं की एलिजिबिलिटी देखनी चाहिए न कि सुटेबिल्टी। सीनेटर डी.पी.एस. रंधावा, सीनेटर नरेश गौड़ और अशोक गोयल ने कहा कि रि-एम्पलॉयमैंट नहीं होनी चाहिए। इससे पी.यू. पर आर्थिक  बोझ बढ़ रहा है। वहीं वी.सी. ने इससे इंकार किया। इस पर डी.यू.आई. प्रो. मीनाक्षी मल्होत्रा ने कहा कि एलिजिबिलिटी के साथ सुटेबल शब्द का विज्ञापन में प्रयोग करना बेहद जरूरी है, क्योंकि क्वालिफिकेशन के साथ उम्मीदवार का स्किल भी देखा जाता है। 


एक्सटैंशन का प्रावधान नहीं 
पंजाब एंड चंडीगढ़ कालेज टीचर्स यूनियन के महासचिव विनय सोफ्त ने फैलो को पत्र  लिखकर कहा कि कैलेंडर में 60 साल के बाद एक्सटैंशन देने का कोई प्रावधान नहीं है। इसमें साफ है कि केवल एसिस्टैंट प्रोफैसर, एसोसिएट प्रोफैसर और प्रोफैसर को ही री-एम्पलॉयमैंट दी जा सकती है। किसी अन्य कैडर को इसमें शामिल ना किया जाए। वहीं इस मीटिंग में एक सीनियर प्रोफैसर के सैक्सुएल हरासमैंट मामेल में बनने वाली कमेटी  को लेकर चर्चा नहीं हो पाई। इन मुद्दों पर 17 फरवरी को होने वाली मीटिंग में चर्चा होगी। 


पूटा ने की जमकर नारेबाजी
सीनेट मीटिंग से पहले पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (पूटा) ने रजिस्ट्रार गुलजीत एस.चड्ढा के खिलाफ जमकर नारेबाजी और उन्हें अपने व्यवहार को लेक माफी मांगने को कहा। पूटा प्रधान प्रो. राजेश गिल व प्रो. केशव मल्होत्रा ने कहा कि रजिस्ट्रार को सबके सामने आकर माफी मांगनी होगी क्योंकि वह ऑफिशियल काम से रजिस्टरार से मिलने गई थी। पूसा प्रधान दीपक कौशिक ने कहा कि कुछ कर्मियों द्वारा लगातार मामला उठाया जा रहा है कि उनके साथ भी ऐसा रूखा व्यवाहर किया गया है। ऐसे में इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।   


अघोषित सा नियम बना दिया है
कुछ सीनेटरों ने कहा कि यह नियम बनाया था कि प्रिंसिपल पद के लिए विज्ञापन देना होगा और सूटेबल कैंडीडेट ना मिलने पर ही एक्सटैंशन दी जा सकेगी। मगर काफी कालेजिस ने इसे अघोषित नियम सा बना लिया। अभी करीब 15 कालेजिस में रिटायर हो चुके प्रिंसिपल सेवा में हैं। सूत्रों की मानें तो एक कालेज में 68 साल की आयु में भी प्रिंसिपल काम कर रहा है।


रि-एमप्लॉयमैंट को लेकर वोट की मांग
सीनेटर प्रभजीत ने भी 3+2 नियमों का विरोध किया। इस मुद्दे पर सीनेटरों ने वोटिंग की भी मांग की। सीनेटरों ने कहा कि इस मामलों को यहीं क्लीयर करना चाहिए। कई सीनेटरों ने इस पर वोटिंग करवाकर फैसला लेने की मांग की।  वी.सी. ने कहा कि जब मुद्दा सिंडीकेट या सीनेट एजैंडे में आया ही नहीं तो कैसे निर्णय कैसे लिया जा सकता है। सीनेटर प्रिंसीपल सांघा ने कहा कि 71 कॉलजों में प्रिंसीपल नहीं और जो आवेदन आते हैं उन्हें नियुक्ति नहीं मिलती। सीनेटर जगदीश मेहता ने कहा कि  पी.यू. में 150 के करीब रिएमप्लॉयमैंट है। भविष्य में इनकी संख्या 200 या 300 हो जाएगी। 


लैब टैकनीशियन ने दिया धरना 
द लैब एंड टेकनीशियन स्टाफ एसोसिएशन (पुलसा) ने मागों को लेकर धरना दिया। उन्होंने सीनेटरों को मैमोरेंडम भी सौंपा। उन्होंने टैक्निकल स्टाफ  की प्रमोशन, डुप्लीकेट सर्विस बुक, ए.सी.पी. स्कीम लागू करने व अन्य मागों को पूरा किया जाना चाहिए। पुलसा अध्यक्ष कपिल ने कहा कि अगर हमारी मागों को जल्द न माना गया तो हम क्लासिज का बायकॉट करेंगे। धरने में 200 से 300 कर्मचारी शामिल थे। 

 

एक्सटैंशन जरूरी 
सीनटेर मुकेश अरोड़ा ने कहा कि  शिक्षकों की शार्टेज से ही प्रिंसीपलों को एक्सटैंशन दी जाती है।  छठे वेतन आयोग में ए.पी.आई. स्कोर के आने से अधिकतर कालेजिस में एलिजीबल कैंडीडेट नहीं मिल पाते। वी.सी. ने कहा कि सैंट्रल यूनिवर्सिटी में शिक्षकों की सेवानिवृती आयु 65 वर्ष रखी गई है। काफी ऐसे कॉलेज भी हैं जहां स्टूडैंट्स की संख्या 10 हजार है। ऐसे में इनका नेतृत्व करने वाला अनुभवी चाहिए। 


कमेटियों में मैंबर हों अलग-अलग
सीनेटर महमूद अख्तर ने कहा कि किसी मुद्दे को लेकर एक कमेटी में 9 मैंबर थे। वहीं उसकी सबकमेटी में कमेटी के ही 3-4 मैंबर थे। ऐसे में फैसला सहीं कैसे आ सकता है। बैठक में शिक्षकों को 21,600 पे-स्केल के बजाए 15,600 का पे-स्केल देने के मुद्दे पर भी बात हुई। कुछ ने कहा कि यू.टी. ने कांट्रैक्टर का पे-स्केल 15,600 कर दिया है। वी.सी. ने कहा कि जो पे स्केल है वही दिया जाएग। सीनेटर चमन लाल ने कहा कि ए.पी.आई. ने शिक्षकों को बर्बाद किया है। 

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