GST बिलों का काला धंधा शुरू, पंजाब में 2 से 5 प्रतिशत में बिक रहे हैं 28 फीसदी वाले GST बिल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Jan, 2018 09:57 AM

punjab is selling 2 to 5 percent gst bill of 28 percent

पंजाब में वैट सिस्टम के दौरान हुई बोगस बिलिंग के मामले ने सेल टैक्स विभाग को कोई सफलता नहींं दिलाई। अब जी.एस.टी. के बिलों का काला धंधा शुरू हो गया है। करोड़ों रुपए के बिल नाममात्र हजारों रुपए में बेचे जा रहे हैं। इस सारे खेल में जहां सरकार को टैक्स...

लुधियानाः पंजाब में वैट सिस्टम के दौरान हुई बोगस बिलिंग के मामले ने सेल टैक्स विभाग को कोई सफलता नहींं दिलाई। अब जी.एस.टी. के बिलों का काला धंधा शुरू हो गया है। करोड़ों रुपए के बिल नाममात्र हजारों रुपए में बेचे जा रहे हैं। इस सारे खेल में जहां सरकार को टैक्स नहीं मिल रहा, वहीं लास्ट कंजूयमर को भी नुक्सान हो रहा है। इस सारे खेल में सबसे ज्यादा फायदा रिटेलर को होना शुरू हो गया है। इस संबंध में विभिन्न बाजारों में छानबीन की गई तो आटो पाटर्स, लोहा, सीमैंट, हार्डवेयर, टाइल बेचने वालों से जब पूछा गया कि माल खरीद का बिल दे दो तो उन्होंने कहा कि इस पर जी.एस.टी. लगेगा। जबकि यह सारा माल जी.एस.टी. लग कर आता है। यानी इन सभी आइटम की जो कीमत होती है उसमें जी.एस.टी. शामिल होता है।

GST पर रिटेलर नहीं दे रहे बिल
रिटेल ग्राहक जी.एस.टी. की दर सुनकर बिल लेने से मना कर देता है। यही से रिटेलर का पैसा कमाने के लिए बिलों को बेचने का धंधा शुरू होता है। हालांकि कंज्यूमर से जी.एस.टी. के पूरे पैसे भी ले लिए जाते हैं। फिर भी उन्हें बिल देने में रिटेलर दुकानदार आनाकानी कर अपना धंधा चमका रहे हैं। विभाग इसकी गंभीरता से जांच करे तो पंजाब में ही नहीं, पूरे भारत में जी.एस.टी. सिस्टम में अरबों रुपए का घोटाला  सामने आ सकता है। जबकि मोदी सरकार ने जी.एस.टी. को कर चोरी रोकने के लिए ऑनलाइन किया हुआ है। लेकिन बिलों को बेचने वालों ने ऑनलाइन भी आफलाइन कर दी है। सरकारी विभाग का सारा ध्यान मैन्युफैक्चरर्स पर है जबकि असल में रिटेल सेगमैंट पर नजर रखने की जरूरत है।

कैसे खेला जा रहा है बिल बेचने का खेल 
उदाहरण के तौर पर सीमैंट मैन्युफैक्चरर्स ने 100 बोरी सीमैंट जी.एस.टी. लगाकर अपने डीलर को बेच दी। आगे डीलर ने यही बोरी जी.एस.टी. लगाकर रिटेल दुकानदार को बेच दी। दुकानदार ने माल होलसेल में खरीदा और उस पर जी.एस.टी. अदा किया। अब यहां समझने वाली बात है कि दुकानदार एक-एक बोरी करके बेचता है। लेकिन उसका बिल ग्राहक को नहीं देता। अगर वह बिल देगा तो ग्राहक को सीमैंट की बोरी जी.एस.टी. लगे दाम पर ही मिलेगी। परंतु बिल न देने के कारण सीमैंट को 2 नंबर में बेचा जा रहा है। अब रिटेलर की ओर से बिल पर खरीदे गए माल का जो स्टाक था उसे उसने बिना बिल के बेच दिया। लेकिन स्टाक के मुताबिक उसे बिल भी काटने पड़ेंगे। वह इन बिलों को जी.एस.टी. की कुल दर में से 2.3 प्रतिशत लेकर बाजार में बेच देता है। जिसने बिल लिया होता है उसने भी न तो माल खरीदा और न ही दुकानदार ने उसे माल बेचा। माल तो सारा दो नंबर में बिक गया। जिस कीमत पर बिल बेचे जाते है वो उसका काले धंधे वाला प्राफिट है। इसके अतिरिक्त दुकानदार ने होलसेल का माल जिस कीमत पर खरीदा वो जी.एस.टी. भी विभाग से कलेम करेगा। सबसे ज्यादा बिल निर्यातकों को बेचे जा रहे है।

जी.एस.टी. का बिल कितनी कम दर पर मिल रहा है 
- सीमैंट पर 28 प्रतिशत जी.एस.टी. है लेकिन बाजार में रिटेलर से बिल 3 प्रतिशत जी.एस.टी. अदा करके लिया जा सकता है।
- 28 फीसदी वाले टाइल का बिल 9 प्रतिशत तक बिक रहा है।
- लोहे पर 18 प्रतिशत जी.एस.टी. है। इसका बिल 4 से 5 प्रतिशत पर लिया जा सकता है।
- हार्डवेयर पर 18 फीसदी जी.एस.टी. है। इसका बिल भी 2 से 3 प्रतिशत तक आसानी से मिल जाता है।
- आटो पाटर्स के 18 प्रतिशत जी.एस.टी. वाले बिल को 5 प्रतिशत पर बेचा जा रहा है।
यहां बता दे कि बिल पर जी.एस.टी. की एक्चुअल दर लिखी जाएगी। लेकिन अंडर दी टेबल दुकानदार कैश पैसे लेकर इस बिल को बेच रहे हैं। जिसको बिल बेचे हैं वो अब यहां विभाग से एक्चुअल जी.एस.टी. की दर को कलेम करेगा।

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