Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Jan, 2018 12:05 PM
रोज अपने आस-पास किसी ना किसी मैरिड फ्रैंड को परेशान या रोते हुए देखती हूं। हमेशा हसने वाली और मस्त रहने वाली रीना आज डीप डिप्रेशन में हैं, क्योंकि जिस लड़की को उनके पापा प्रिंसिस तरह रखते थे... उसी रीना को उसके सास-ससुर बिल्कुल नौकर की तरह समझते...
रोज अपने आस-पास किसी ना किसी मैरिड फ्रैंड को परेशान या रोते हुए देखती हूं। हमेशा हसने वाली और मस्त रहने वाली रीना आज डीप डिप्रेशन में हैं, क्योंकि जिस लड़की को उनके पापा प्रिंसिस तरह रखते थे... उसी रीना को उसके सास-ससुर बिल्कुल नौकर की तरह समझते हैं, उसके हसबैंड भी उसे किसी तरह से स्पोर्ट नहीं करता है। आज ऑफिस में बैठे सोचा, क्यों ना कुछ लिखु, एक मॉर्डन वुमैन की दिल की बैठे, जो वो अपने इन-लोस और हसबैंड को नही समझ पाती।
कभी-कभी सोचती हूं, क्यों आदमियों और औरतों के लिए अलग-अलग रुल्स बनाएं गए है, क्यों औरतों को आदिमयों की तरह जीने का हक ना है, क्यों वो अपनी मर्जी से कुछ कर सकती, क्यों उसे हर छोटी चीजों के लिए किसी आदमी का अपरुवल लेना पड़ता है, क्यों वो अपने बारे में सोच नहीं सकती, और अगर सोचे तो सैलफिश है। ऐसी ही कुछ सवाल मेरे मन में हमेशा उठते रहते हैं। क्या इनका जवाब में अपने बड़ो से पुछ सकती हूं, शायद ये जवाब मिलेगा, कि ये सब हमारे प्रूवजो ने थे किया है, हमारे बड़ों ने ये रुल्स बनाएं हैं. में पूछती हूं, किसने कहा कि अगर वो बड़े हैं तो वो अपने आने वाली जनरेशन के लिए रुल्स बना सकते हैं। क्या अगर वो हमसे पहले इस दुनिया में आए हैं तो वो सही हैं और हम गलत हो गए। ये कहां का लोजिक है। शायद उन्होंने हमसे ज्यादा दुनियां देखी है, हसमे ज्यादा एक्सपीरियंस हैं। पर क्या उन्होंने वो दुनियां देखी है तो हमने देखी है, थे 21वीं सदी, जो उनकी दुनियां से बिल्कुल अलग है, तो तब के रुल्स आज के दुनिया में कैसे फिट बैठेगें, उम्र सिर्फ एक नंबर है, जो उनको मिली है क्योंकि वो हमसे पहले पैदा हुए। क्या ये लोजिक बहुत है कि वो हमारे लिए सही गलत का फैसला कर सकते हैं।
ऐसे बहुत सारे सवाल हैं जो हम औरतें अपने बड़ो से नहीं पूछ सकती, और शायद पूछते तो कोई लोजिकल जवाब नहीं मिलेगा, हम उन्हें समझाना चाहते हैं कि हम भी लड़कियों की तरह एक इंसान हैं, हमें भी भगवान ने दिल दिया है, हमें भी भूख लगती हे, नींद आती है, हमे प्यार की जरुरत है, इसलिए ये मेरी ये एक छोटी सी कोशिश है उन तक और उन बहुत लोगो तक ये बातें पछताने की जो सोचते हैं की औरत पैदा ही आदमी को फॉलो और सर्व करने के लिए होती है। ये बुहत छोटी चीजें लगती हैं पर एक औरत से पूछो की उसके लिए ये कितनी बड़ी समस्या है।
प्रज्ञा मोहन
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