मृत और ‘बेनाम’ अधिकारियों के तबादले और पदोन्नतियां

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Dec, 2017 03:00 AM

transferred and promotions of dead and anonymous officers

देश के प्रशासन और सरकारी विभागों में आश्चर्यजनक कारनामे सामने आना नई बात नहीं। समय-समय पर हमारे सरकारी विभागों के ऐसे चमत्कार सामने आते हैं जिन्हें देख कर लोग दांतों तले उंगली दबाने को विवश हो जाते हैं। यहां विभिन्न प्रदेशों की सरकारों द्वारा ऐसे ही...

देश के प्रशासन और सरकारी विभागों में आश्चर्यजनक कारनामे सामने आना नई बात नहीं। समय-समय पर हमारे सरकारी विभागों के ऐसे चमत्कार सामने आते हैं जिन्हें देख कर लोग दांतों तले उंगली दबाने को विवश हो जाते हैं। यहां विभिन्न प्रदेशों की सरकारों द्वारा ऐसे ही कारनामों का संक्षिप्त विवरण निम्र में दर्ज किया जा रहा है जिनमें मृत तथा ‘बेनाम’ अधिकारियों तक के तबादले और पदोन्नतियां कर दी गईं : 

20 जुलाई 2016 कोमहाराष्ट्र में अधिकारियों की लापरवाही का मामला तब सामने आया जब जुलाई 2013 में एक सड़क दुर्घटना में मारे जा चुके एक आबकारी सबï-इंस्पैक्टर संदीप सबाले का तबादला कोल्हापुर जिले के दौलत सहकारी चीनी कारखाने से नासिक के सतना में कर दिया गया। 28 मई 2017 को उत्तर प्रदेश में पी.सी.एस. अधिकारियों की प्रमोशन, बहाली और तबादले देखने वाले नियुक्ति विभाग ने एक ऐसा काम किया जिससे न सिर्फ नियुक्ति विभाग बल्कि योगी सरकार को भी शॄमदा होना पड़ा। प्रदेश में 222 सीनियर पी.सी.एस. अधिकारियों का तबादला किया गया था। इस सूची में 196 नंबर पर मृतक पी.सी.एस. गिरीश कुमार का नाम भी शामिल था जिन्हें बुलंदशहर का सिटी मैजिस्ट्रेट बना दिया गया। गिरीश कुमार वाराणसी में एस.डी.एम. पद पर तैनात थे और 29 नवम्बर, 2016 को किसी गंभीर बीमारी के चलते उनकी मृत्यु हो गई थी।

27 जुलाई, 2017 को मध्यप्रदेश में शिक्षा विभाग द्वारा मंदसौर जिले के एक मृत अध्यापक का तबादला आदेश जारी कर देने का बड़ा मामला सामने आया। 4 वर्ष पूर्व मर चुके अध्यापक फकीर चंद गुर्जर के मृत्यु के रिकार्ड को अपने दस्तावेजों में दुरुस्त न करने के कारण शिक्षा विभाग भोपाल के अधिकारियों ने उनका तबादला शासकीय कन्या विद्यालय पीपलिया मंडी से मल्हारगढ़ कर दिया। 24 अक्तूबर, 2017 को राजस्थान में भरतपुर मंडल के अधीन तृतीय श्रेणी से द्वितीय श्रेणी अध्यापकों की जारी पदोन्नति की वरीयता सूची में मृतकों, ‘बेनाम’ एवं पहले से पदोन्नत अध्यापकों को पदोन्नति देने के परिणामस्वरूप कई पात्रों को पदोन्नति से वंचित होना पड़ गया।

इस सूची में 6 वर्ष पूर्व मर चुके एक शिक्षक को पदोन्नति देने का मामला भी उजागर हुआ। यही नहीं, धौलपुर जिले में पदोन्नत किए गए 195 अध्यापकों में से लगभग 2 दर्जन ऐसे ‘बेनाम अध्यापकों’ के नाम पदोन्नति सूची में शामिल थे जो सरकारी सेवा में ही नहीं थे। और अब 11 दिसम्बर, 2017 को आंध्र प्रदेश में एक मृत वरिष्ठï पुलिस अधिकारी के तबादले का आदेश देते हुए उन्हें पुलिस मुख्यालय में रिपोर्ट करने को कहा गया। तिरुमाला विशेष शाखा में तैनात डी.एस.पी. डी. रमनजनेयुलू की कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के कारण 6 महीने पहले मौत हो गई थी लेकिन ट्रांसफर वाले 16 डी.एस.पी. की लिस्ट में उनका भी नाम शामिल है। 

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार ऐसी गलती के उजागर होने से पुलिस अधिकारियों को शॄमदगी का सामना करना पड़ा जिसके परिणामस्वरूप मचे हड़कंप के बाद पुलिस महानिदेशक नंदुरी सम्बासिवाराव ने मामले की आंतरिक जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि अब इसे टाइपिंग की भूल बता कर इस गलती से पल्ला झाडऩे की कोशिश की जा रही है। सरकारी विभागों में लापरवाही के ये उदाहरण, विभागीय अक्षमता और तालमेल के अभाव तथा आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी न करके टालू रवैया अपनाए जाने का ही परिणाम हैं जिनसे स्पष्टï है कि हमारे सरकारी विभागों में महत्वपूर्ण से महत्वपूर्ण मामलों में भी किस कदर लापरवाही बरती जाती है। मृत और ‘बेनाम’ अधिकारियों के तबादले और पदोन्नति जैसे चमत्कार केवल भारत में ही हो सकते हैं।—विजय कुमार

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