Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Jan, 2018 08:02 PM
उत्तर प्रदेश के विभाजन का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने यूपी में प्रशासन के मुद्दे पर यह कहते हुए बहस छेड़ दी है कि आकार और बड़ी जनसंख्या के कारण राज्य का विभाजन अनिवार्य हो गया है
तिरूवनंतपुरमः उत्तर प्रदेश के विभाजन का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने यूपी में प्रशासन के मुद्दे पर यह कहते हुए बहस छेड़ दी है कि आकार और बड़ी जनसंख्या के कारण राज्य का विभाजन अनिवार्य हो गया है।
सेंटर फॉर मैनेजमेंट डेवलपमेंट की तरफ से आयोजित दूसरे रामचंद्रन स्मारक व्याख्यान में रमेश ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि आज नहीं तो कल उत्तरप्रदेश का पुनर्गठन आवश्यक हो जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि यह इसलिए जरूरी है कि इस सदी के मध्य तक राज्य की आबादी 40 करोड़ हो जाएगी जो ‘‘सत्ता में रहने वाले राजनीतिक दल के लिए प्रचंड बहुमत मिलने के बावजूद वहां शासन करना आसान नहीं होगा।’’
बता दें, कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के दौरान आंध्रप्रदेश के विभाजन और तेलंगाना के निर्माण में जयराम रमेश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। राज्यसभा सदस्य ने कहा कि केरल के कावलम मधावा पनिक्कर ने राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट में असहमति वाला नोट लिखा था और उत्तरप्रदेश के विभाजन की वकालत की थी।
उन्होंने यह भी दावा किया कि संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन का मुद्दा 2026 तक आएगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि यह काफी अनुचित होगा कि जिन राज्यों ने परिवार नियोजन में सफलता पाई है, संसद में उनकी सीट कम होंगी और जिन राज्यों ने आबादी पर काबू नहीं पाया उनके सीटों की संख्या बढ़ेगी।