Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Jan, 2018 11:29 AM
1 फरवरी 2018 को पेश होने वाले आगामी आम बजट से देश के बिल्डरों को काफी सारी उम्मीदें हैं। रेरा और जीएसटी लागू होने के बाद रियल एस्टेट सेक्टर थोड़ा मुश्किल में आ गया है। बिल्डर घरों के दाम नहीं घटा रहे। जहां दाम घटे भी हैं वहां लोग घर नहीं खरीद पा...
नई दिल्लीः 1 फरवरी 2018 को पेश होने वाले आगामी आम बजट से देश के बिल्डरों को काफी सारी उम्मीदें हैं। रेरा और जीएसटी लागू होने के बाद रियल एस्टेट सेक्टर थोड़ा मुश्किल में आ गया है। बिल्डर घरों के दाम नहीं घटा रहे। जहां दाम घटे भी हैं वहां लोग घर नहीं खरीद पा रहे।
बिल्डरों की मांगे
बिल्डरों का कहना है कि ज्यादा जीएसटी की वजह से प्रोजेक्ट्स पर असर पड़ा है और काम धीरे चल रहा है। बिल्डरों की मांग है कि अफॉर्डेबल हाउसिंग की तरह और पूरे रेजिडेंशियल सेग्मेंट को इंडस्ट्री का दर्जा मिलना चाहिए। इसके अलावा प्रोजेक्ट के लिए सिंगल विंडो क्लियरेंस बहुत जरूरी है। साथ ही रीट्स के टैक्स नियमों को और आसान करने की जरूरत है। ग्रीन बिल्डिंग बनाने के लिए ज्यादा इंसेंटिव्स चाहिए और जमीन अधिग्रहण के लिए आसान प्रक्रिया होनी चाहिए।
मिलने चाहिए सस्ते कर्ज
घर खरीदार भी वित्त मंत्री से रियायत चाहते हैं। रेरा की वजह से ब्रोकर्स भी दिक्कत में हैं। प्रोजेक्ट में देरी होने पर घर खरीदार इनका ही गला पकड़ने आते हैं। जानकारों का मानना है कि अगर प्रधानमंत्री आवास योजना को सफल बनाना है तो घर खरीदारों के साथ बिल्डर्स को भी इंसेंटिव्स देने चाहिए। बिल्डरों की मांग है कि रियल एस्टेस सेक्टर के सस्ते कर्ज मिलने चाहिए और रियल एस्टेट को पूरी तरह से जीएसटी की हद में होना चाहिए।