Happy friendship day: फॉरएवर दोस्ती को सेलीब्रेट करने के लिए रखें ध्यान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Aug, 2017 09:12 AM

happy friendship day

खून के रिश्तों से अलग हमें अपनी जिंदगी और अधिक खूबसूरत तब महसूस होती है जब विश्वास और अपनेपन का एक अटूट बंधन जुड़ता है जिसे दोस्ती कहते हैं। एक-दूसरे की बात को बिना कहे

खून के रिश्तों से अलग हमें अपनी जिंदगी और अधिक खूबसूरत तब महसूस होती है जब विश्वास और अपनेपन का एक अटूट बंधन जुड़ता है जिसे दोस्ती कहते हैं। एक-दूसरे की बात को बिना कहे समझ लेना और हर सुख-दुख में बिना किसी शर्त एक-दूसरे के काम आना इस रिश्ते की नींव को और अधिक सुदृढ़ता प्रदान करता है। दोस्ती जितनी पुरानी होती है उसमें उतनी ही गहराई और स्थायित्व होता है। यही वजह है कि आज हम अपने साथ जुड़े हर रिश्ते में दोस्ती ढूंढने की कोशिश करते हैं। यह एक ऐसा रिश्ता है जिसे पूरी उम्र संजोकर रखना जरूरी है ताकि इसकी उम्र बढ़ती रहे। यही तो खासियत है इस रिश्ते की ‘फ्रैंडशिप फॉरएवर’।


फ्रैंडशिप-डे की शुरूआत
विश्व के सभी देशों में अलग-अलग तारीखों को मनाए जाने वाले इस दिन के पीछे भावना एक ही है-दोस्ती का सम्मान। इस दिन की शुरूआत 1919 ई. में हुई जिसका श्रेय हॉलमार्क कार्ड्स के संस्थापक जॉयस हॉल को जाता है। उन दिनों दोस्तों को फ्रैंडशिप-कार्ड भेजने का बहुत प्रचलन था जो आज भी जारी है। अमेरिकी देशों में 30 जुलाई 1958 में औपचारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय फ्रैंडशिप-डे मनाने की घोषणा की गई थी। भारत में इस दिन को अगस्त माह के प्रथम सप्ताह में मनाया जाता है लेकिन दक्षिण अमेरिकी देशों में जुलाई महीने को पवित्र मानते हुए वहां जुलाई के अंत में यह दिन मनाया जाता है। बंगलादेश व मलेशिया में डिजीटल कम्युनिकेशन के तहत यह दिन काफी चर्चित हो चुका है। दोस्ती हीरे की तरह अनमोल होती है। इसलिए इसकी संभाल बड़ी नजाकत से करनी जरूरी है।


ताकि दोस्ती रहे ताउम्र सलामत  
जहां प्यार होता है वहां तकरार होना भी आम है और बाकी रिश्तों के साथ ही दोस्ती के रिश्ते में ऐसा होना स्वाभाविक है। चाहे दोस्तों में कितना भी खुलापन और स्नेह हो, फिर भी कुछ बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है-


आप शादी कर रहे हों या करियर की खातिर घर छोड़ रहे हों, दोस्तों से संपर्क समाप्त न करें। आजकल तो टैक्नोलॉजी इतनी विकसित हो गई है कि अनेकों साधनों के द्वारा दोस्तों के करीब रहा जा सकता है।


सोशल मीडिया दोस्तों के संपर्क में रहने का सबसे बढिय़ा साधन है। फेसबुक के जरिए तो आप अपने पुराने बिछड़े दोस्तों से भी मिल सकते हैं। सोशल मीडिया में सक्रिय रहकर दोस्तों के सुख-दुख व हंसी-खुशी में शामिल होना आज बहुत आसान हो गया है।


कई बार दोस्त अपनी निजी जिंदगी में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि उन्हें समय ही नहीं मिल पाता और हम यह गलतफहमी पाल लेते हैं कि उनके पास हमारे लिए वक्त नहीं है या वे बदल गए हैं। ऐसे में रिश्ता खत्म  करने की बजाय उनकी व्यस्तता या परेशानियों के बारे में जानने की कोशिश करें, तब अपनी राय के बारे में सोचें।


गहरी दोस्ती होने पर हम काफी अनौपचारिक हो जाते हैं और कभी-कभी हमारे मुंह से कुछ गलत निकल जाता है जिससे सामने वाले को बुरा लग सकता है। दोस्ती में दरार आए, इससे पहले ही मामला सुलझा लें।


दोस्तों में उधार भी चलता है लेकिन समयानुसार लौटाने में देरी न करें क्योंकि कभी-कभी पैसा इस रिश्ते में उलझनें पैदा कर सकता है।


आप या आपका दोस्त किसी परेशानी में हैं तो आपस में शेयर जरूर करें। अपनी हैसियत अनुसार मदद करने से पीछे न हटें। मदद के बाद बाकी दोस्तों में इस बात का ढिंढोरा पीट कर अपनी बड़ाई न करें।


अपने किसी भी दोस्त की दूसरे के सामने चुगली न करें क्योंकि घूम-फिर कर बात जब सबके सामने आती है तो आपके लिए स्थिति शर्मनाक हो सकती है।


यदि दोस्त गलत संगत या व्यसन में घिर रहा है तो उसे समय-समय पर सचेत करते रहें।

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