बाल गोपाल के जन्मोत्सव पर ऐसे करें पूजन

Edited By ,Updated: 23 Aug, 2016 09:42 AM

krishna janmashtami

श्री कृष्ण गौ माता के पालक बन गोपाल कहलाए। सोलह कलाओं के स्वामी बन सर्वोतम कहलाए। गोप कन्याओं के प्रिय बन गोपिजन्वाल्लभ कहलाए। गोवर्धन पर्वत का उद्धार करने उर्वर्ध भुजाधारी गोवर्धन कहलाए। श्री प्रिया राधावल्लभ तथा मन को हरने वाले मनोहर कहलाए।

श्री कृष्ण गौ माता के पालक बन गोपाल कहलाए। सोलह कलाओं के स्वामी बन सर्वोतम कहलाए। गोप कन्याओं के प्रिय बन गोपिजन्वाल्लभ कहलाए। गोवर्धन पर्वत का उद्धार करने उर्वर्ध भुजाधारी गोवर्धन कहलाए। श्री प्रिया राधावल्लभ तथा मन को हरने वाले मनोहर कहलाए। देवताओं का दमन करने वाले देवदमन श्री कृष्ण का हम वंदन करते हैं। लीलाधर श्रीकृष्ण ने माया पूतना और कंस का हनन किया। धर्म युद्ध महाभारत में पाण्डवों को विजय दिलाई। अधर्म के नाश हेतु तथा धर्म की स्थापना हेतु जन्माष्टमी के पावन पर्व पर हम सभी भगवान श्रीकृष्ण की शरण चलें तथा विशिष्ट पूजन और उपायों को करके जीवन के सारे कार्य सर्वसिद्ध करें।
 
वासुदेव श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी में वृषभ राशि, रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। भागवत के अनुसार श्री कृष्ण अवतरण विधि द्वारा रचा गया वो सत्य कृत है जिसने पृथ्वी को पाप मुक्त किया। त्रेता युग के पश्चात द्वापर में जब दैत्यों ने मानव रूप में जन्म लेना प्रारंभ कर दिया था तथा उनके अत्याचार हरी भक्तों पर बढ़ने लगे, तब देवी पृथ्वी ने अत्यंत दु:खी होकर जगत के पालनहार श्री हरी भगवान विष्णु से सहयता की मंत्रणा की तदुपरांत श्री हरि ने माता पृथ्वी की ये वचन देते हुए कहा की “मैं द्वापर में जन्म लेकर दुष्टों दलन करूंगा और पुनः धर्म की स्थापना करूंगा”।
 
जन्माष्टमी पूजन: प्रातः काल नित्यकर्मों से निवृत्त होकर लाल आसान लगाकर उत्तर मुखी होकर श्री कृष्ण का पूजन करें। इसके पश्चात जल, फल, कुश और गंध लेकर संकल्प करें:
 
संकल्प: ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट। सिद्धये श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥
 
तत्पश्चात बालगोपाल की मूर्ति स्थापित करें। शुद्ध घी का दीपक जलाएं। चंदन की धूप जलाएं। धूप तथा श्री बालगोपाल का विधिवत षोडशोपचार पूजन करें।
 
षोडशोपचार पूजन विधि: ॐ क्लीं कृष्णाय नमः ध्यायामि - हाथ जोड़कर श्री कृष्ण का ध्यान करें। ॐ क्लीं कृष्णाय नमः आवाहयामि - प्रणाम करके श्रीकृष्ण का आवाहन करें। ॐ क्लीं कृष्णाय नमः आसनम् समर्पयामि - फूलों का आसान समर्पित करें। ॐ क्लीं कृष्णाय नमः अर्घ्यं समर्पयामि - पानी से अर्घ्य दें। ॐ क्लीं कृष्णाय नमः पाद्यं समर्पयामि - फूल और चावल चढाएं। ॐ क्लीं कृष्णाय नमः आचमनीयं समर्पयामि - जल चढाकर आचमन कराएं। ॐ क्लीं कृष्णाय नमः उप हारं समर्पयामि - फूलों का हार चढ़ाएं। ॐ क्लीं कृष्णाय नमः पंचामृत स्नानं समर्पयामि - श्री बालगोपाल को पंचामृत से स्नानं कराएं। ॐ क्लीं कृष्णाय नमः वस्त्र युग्मं समर्पयामि - श्री बालगोपाल पर दो अलग रंग के वस्त्र चढ़ाएं। ॐ क्लीं कृष्णाय नमः यज्ञोपवीतं धारयामि - श्री बालगोपाल पर जनयु चढ़ाएं। ॐ क्लीं कृष्णाय नमः दक्षिणाम् समर्पयामि - सिक्के चढ़ाएं। ॐ क्लीं कृष्णाय नमः गंधं धारयामि - चंदन चढ़ाएं। ॐ क्लीं कृष्णाय नमः अक्षतान् समर्पयामि - चावल चढ़ाएं। ॐ क्लीं कृष्णाय नमः पुष्पैः पूजयामि - पुष्पांजलि समर्पित करें। ॐ क्लीं कृष्णाय नमः नवैद्यम् समर्पयामि - तुलसीपत्र और मिश्री का भोग लगाएं तथा जो आप इच्छानुसार पकवान बना सकते हैं उनका भोग लगाएं। बाएं हाथ में साबुत सुपारी लेकर दाएं हाथ से तुलसी की माला से इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
 
मंत्र: क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय नमः ।
 
जाप पूरा होने के बाद इस साबुत सुपारी को पूजा घर में स्थापित करें। इस उपाय से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। हर कार्य में सफलता मिलती है। जीवन से समस्याएं और संकट दूर होते हैं तथा जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती है।
 
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com 

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