Shardiya Navratri 6th Day: कुंवारों की एक ही आस जोड़ी बना देगा देवी कात्यायिनी का आशीर्वाद

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Oct, 2023 07:58 AM

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Navratri 2023 Day 6, Goddess Katyayani- श्लोक: या देवी सर्वभू‍तेषु कात्यायिनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

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Navratri 2023 Day 6, Goddess Katyayani- श्लोक: या देवी सर्वभू‍तेषु कात्यायिनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

Description of incarnation of Maa Katyayani मां कात्यायनी का अवतार वर्णन: पराशक्ति दुर्गा के छठे स्वरूप में नवरात्र की षष्ठी तिथि पर मां कात्यायनी के विग्रह पूजन का शास्त्रों में आलेख है। महर्षि कत के गोत्र में उत्पन्न हुए उनके पौत्र महर्षि कात्यायन। महर्षि कात्यायन ने पराम्बा दुर्गा की उपासना करके उन्हें अपने घर में पुत्री के रूप में जन्म लेने का वरदान प्राप्त किया था। देवी दुर्गा ने महर्षि कात्यायन के घर पुत्री रूप में जन्म लिया इसीलिए वह कात्यायनी कहलाईं। देवी कात्यायनी अमोद्य फलदायिनी हैं। इनकी पूजा-अर्चना द्वारा सभी संकटों का नाश होता है, मां कात्यायनी दानवों तथा पापियों का नाश करने वाली हैं। देवी कात्यायनी जी के पूजन से भक्त के भीतर अद्भुत शक्ति का संचार होता है

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Description of Maa Katyayani's form मां कात्यायनी का स्वरूप वर्णन: देवी कात्यायनी का स्वरूप परम दिव्य और सुवर्ण (सोने) के समान चमकीला है। शास्त्रों के अनुसार देवी के स्वरुप का वर्णन चतुर्बाहु (चार भुजा) देवी के रूप में किया गया है। देवी कात्यायनी के ऊपर वाले बाएं हाथ में कमल का फूल है। इन्होंने नीचे वाले बाएं हाथ में तलवार धारण की हुई है । इनका ऊपर वाला दायां हाथ अभय मुद्रा में है जो की भक्तों को सांसारिक सुख और अभय दान प्रदान कर रहा है । इनका नीचे वाला दायां हाथ वरदमुद्रा में है जो के भक्तों को वरदान दे रहा है । देवी कात्यायनी के विग्रह में इन्हें सिंह पर विराजमान बताया गया है । इन्होने पीत (पीले) रंग के वस्त्र पहने हुए हैं । इनके शरीर और मस्तक नाना प्रकार के स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित हैं। इनकी छवि परम कल्याणकारी है जो सम्पूर्ण जगत को सौभाग्य की प्राप्ति कराती हैं ।

Description of Maa Katyayani's sadhana मां कात्यायनी का साधना वर्णन: नवरात्र की षष्ठी तिथि को देवी कात्यायिनी के स्वरूप की ही उपासना की जाती है। जो साधक कुण्डलिनी जागृत करने की इच्छा से देवी अराधना में समर्पित हैं, उन्हें दुर्गा पूजा के छठे दिन देवी कात्यायनी जी की षोडश उपचार से पूजा-अर्चना करनी चाहिए। फिर मन को आज्ञा चक्र में स्थापित करने हेतु मां का आशीर्वाद लेना चाहिए और साधना में बैठना चाहिए। मां कात्यायनी की भक्ति से मनुष्य को अर्थ, कर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। इनकी पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय गौधूलि वेला है। इनकी पूजा पीले फूलों से करनी चाहिए। इन्हें बेसन के हलवे का भोग लगाना चाहिए तथा श्रृंगार में इन्हें हल्दी अर्पित करना शुभ होता है। इनकी साधना से दुर्भाग्य की समाप्ति होती है, सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा कालिन्दी-यमुना के तट पर की थी। ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इनका ध्यान मंत्र इस प्रकार है-

Maa Katyayani Dhyan mantra मां कात्यायनी का ध्यान मंत्र: चन्द्रहासोज्जवलकरा शाईलवरवाहना । कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी ।।

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Yogic approach of Maa Katyayani मां कात्यायनी का यौगिक दृष्टिकोण: इस दिन साधक का मन ‘आज्ञा चक्र’ में स्थित रहता है। योग साधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक मां कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व निवेदित कर देता है। साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होने पर परिपूर्ण आत्मदान करने वाले ऐसे भक्तों को सहज भाव से मां कात्यायनी के दर्शन प्राप्त होते हैं।

Astrological perspective of Maa Katyayani मां कात्यायनी का ज्योतिष दृष्टिकोण: मां कात्यायिनी की साधना का संबंध ग्रह बृहस्पति से है। कालपुरूष सिद्धांत के अनुसार कुण्डली में बृहस्पति ग्रह का संबंध नवम और द्वादश घर से होता है। अतः मां कात्यायिनी की साधना का संबंध व्यक्ति के धर्म, भाग्य, सौभाग्य, इष्ट, हानि, व्यय और मोक्ष से है। जिन व्यक्तियों कि कुण्डली में बृहस्पति ग्रह नीच अथवा शनि या राहू से पीड़ित हो रहा है अथवा मकर राशि में आकर नीच एवं पीड़ित है, उन्हें सर्वश्रेष्ठ फल देती है मां कात्यायिनी की साधना।

मां कात्यायिनी कि साधना से व्यक्ति को दुर्भाग्य से छुटकारा मिलता है। इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है व दुश्मनों का संहार करने में ये सक्षम बनाती हैं। जिन व्यक्ति की आजीविका का संबंध अध्यन, गणितज्ञ, कर विभाग अथवा बिजनैस से हो उन्हें सर्वश्रेष्ठ फल देती है मां कात्यायिनी की साधना।

Vastu perspective of Maa Katyayani मां कात्यायनी का वास्तु दृष्टिकोण: मां कात्यायिनी कि साधना का संबंध वास्तुपुरुष सिद्धांत के अनुसार बृहस्पति ग्रह से है, इनकी दिशा उत्तर पूर्व (ईशान कोण) है, निवास में बने वो स्थान जहां पर देव पूजन, अंडरग्राउंड वाटर टेंक, ट्यूबवेल या उपवन हो। जिन व्यक्तियों का घर उत्तर पूर्व मुखी हो अथवा जिनके घर पर ईशान कोण में वास्तु दोष आ रहे हो उन्हें सर्वश्रेष्ठ फल देती है मां कात्यायिनी की आराधना।

Remedy of Maa Katyayani मां कात्यायनी का उपाय: सौभाग्य के लिए मां कात्यायिनी पर गुड़ चने का भोग लगाएं।

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