Edited By ,Updated: 05 Sep, 2016 03:11 PM
समाज में अलग-अलग वर्ग के लोग रहते हैं औऱ हर किसी की अपनी पंरपराएं और रीति-रिवीज होते हैं। खासकर शादी समारोह देखें तो हर किसी के अपने रिवाज होते हैं।
ग्वालियर: समाज में अलग-अलग वर्ग के लोग रहते हैं औऱ हर किसी की अपनी पंरपराएं और रीति-रिवाज होते हैं। खासकर शादी समारोह देखें तो हर किसी के अपने रिवाज होते हैं। शादी वाले दिन सबका फोकस दूल्हा-दुल्हन पर होता है कि उनको क्या चाहिए, क्या करना है आदि। कुछ ऐसी ही अलग पंरपरा है लोह-पीटा बंजारों में। इस घुमंतू जनजाति के लोग फेरों और विदाई के दौरान दूल्हा-दुल्हन दोनों को पांव जमीन पर नहीं रखने देते बल्कि वधू के माता-पिता समेत रिश्तेदार अपनी हथेलियां दोनों के रास्ते में बिछा देते हैं ताकि उनके पांव नीचे न लगें।
दूल्हा-दुल्हन जब फेरे लेने लगते हैं तो सभी रिश्तेदार बेदी के पास गोलकार रास्ते में अपनी हथेलियां बिछा देते हैं। सात फेरों से लेकर विदाई तक कोई भी अपनी हथेली नहीं उठाता। जब दूल्हा-दुल्हन गाड़ी में बैठ जाते हैं तो सब अपनी हथेलियां उठाते हैं।