Edited By ,Updated: 08 Oct, 2015 04:02 PM
लक्ष्मी शब्द 'लक्ष्य' से निर्मित हुआ है अर्थात लक्ष्य तक ले जाने वाली देवी, इनकी कृपा के बिना कोई भी अपने लक्ष्य को नहीं भेद सकता। त्रिलोक पूजित महालक्ष्मी धन, संपत्ति, व वैभव की अधिष्ठात्री देवी हैं।
लक्ष्मी शब्द 'लक्ष्य' से निर्मित हुआ है अर्थात लक्ष्य तक ले जाने वाली देवी, इनकी कृपा के बिना कोई भी अपने लक्ष्य को नहीं भेद सकता। त्रिलोक पूजित महालक्ष्मी धन, संपत्ति, व वैभव की अधिष्ठात्री देवी हैं। मनुष्य, देवों व दानवों को देवी ही धन, संपत्ति तथा सुख, वैभव प्रदान करती हैं। महालक्ष्मी की कृपा के बिना जीवन कष्टमय रहता है। ज्योतिषशास्त्र अनुसार देवी लक्ष्मी को शुक्रग्रह से संबोधित किया जाता है। कुंडली में शुक्र की अच्छी या बुरी स्थिती व्यक्ति को धनवान या निर्धन बनाती है।
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लेकिन इसके अतिरिक्त जीवन में कुछ ऐसे कारण होते हैं जिनसे निराश होकर व्यक्ति के जीवन से लक्ष्मी चली जाती हैं।
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श्लोक: कुचैलिनं दन्तमलोपधारिणं ब्रह्वाशिनं निष्ठुरवाक्यभाषिणम्। सूर्योदये ह्यस्तमयेपि शायिनं विमुञ्चति श्रीरपि चक्रपाणिम्॥
गरुड़ पुराण में वर्णित श्लोक के अनुसार यह काम करने से देवी लक्ष्मी मनुष्य तो क्या स्वयं भगवान विष्णु का भी त्याग कर देती हैं इसलिए इन पांच कामों से बचना चाहिए। ये काम इस प्रकार हैं।
पहला काम: मैले वस्त्र पहनने वाले से लक्ष्मी रूठ जाती हैं।
दूसरा काम: दांत गंदे रखने वाले से लक्ष्मी रूठ जाती हैं।
तीसरा काम: ज्यादा खाने वाले से लक्ष्मी रूठ जाती हैं।
चौथा काम: कठोर बोलने वाले से लक्ष्मी रूठ जाती हैं।
पांचवा काम: सूर्योदय व सूर्यास्त के समय सोने वाले से लक्ष्मी रूठ जाती हैं।
यह पांच काम स्वयं विष्णु भगवान भी करें तो उन्हें भी देवी लक्ष्मी त्याग देती हैं।
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com