SC ने कहा- 10.52 लाख फर्जी पैनकार्ड बनना छोटी बात नहीं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Jun, 2017 12:37 PM

10 52 lakh bogus pan cards not miniscule number  supreme court

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि व्यक्तिगत करदाताओं के 10.52 लाख ‘फर्जी’ पैन कार्डों के आंकड़े को देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि व्यक्तिगत करदाताओं के 10.52 लाख ‘फर्जी’ पैन कार्डों के आंकड़े को देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के लिहाज से बेहद छोटा नहीं बताया जा सकता। यह आंकड़ा एेसे कुल दस्तावेजों का 0.4 प्रतिशत है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यह बात रिकॉर्ड में आ चुकी है कि 11.35 लाख फर्जी या नकली पैन नंबरों की पहचान की गई है और इनमें से 10.52 लाख मामले व्यक्तिगत करदाताओं से जुड़े हैं। न्यायालय ने पैन कार्ड को जारी करने और टैक्स रिटर्न दाखिल करने में आधार को अनिवार्य बनाने की आयकर कानून की धारा 139एए को वैध ठहराते हुए 157 पन्नों के फैसले में ये बातें कहीं।  
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‘एेसे किसी प्रावधान की जरूरत नहीं’
हालांकि न्यायालय ने तब तक के लिए इसे लागू किए जाने पर आंशिक रोक लगा दी, जब तक उसकी संवैधानिक पीठ आधार से जुड़े निजता के अधिकार के वृहद मुद्दे पर गौर नहीं कर लेती। कानून की धारा 139एए आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए और पैन कार्ड के आवंटन की याचिका दायर करने के लिए आधार या उसके लिए किए गए आवेदन के पंजीकरण संबंधी जानकारी देने को अनिवार्य बनाती है। यह बात एक जुलाई से लागू होनी है। न्यायमूर्ति ए के सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को कहा, ‘याचिकाकर्ताओं ने यह दलील देने की कोशिश की कि फर्जी पैन कार्ड वाले लोग महज 0.4 प्रतिशत हैं, इसलिए एेसे किसी प्रावधान की जरूरत नहीं है।’ 
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'फर्जी कंपनियों को धन पहुंचाने में इस्तेमाल'
पीठ ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी की आेर से दायर अभ्यावेदनों में कही गई इस बात पर गौर किया कि फर्जी पैन कार्डों का इस्तेमाल फर्जी कंपनियों को धन पहुंचाने में इस्तेमाल किया जाता था। इस बात पर पीठ ने कहा, तथ्य यह है कि कंपनियां अंतत: कुछ लोगों की आेर से ही चलाई जाती हैं और इन लोगों को अपनी पहचान दिखने के लिए दस्तावेज पेश करने होते हैं। इसमें कहा गया कि कर प्रणाली में आधार को लेकर आना कालेधन या काला धन सफेद करने पर रोक लगाने के उपायों में से एक है। इस योजना को सिर्फ इस आधार पर ‘खारिज’ नहीं किया जा सकता कि इस उद्देश्य की पूर्ण पूर्ति नहीं हो सकेगी। इस बुराई की जड़ें बहुत गहरी हैं और इससे निपटने के लिए कई कदम उठाने की जरूरत है। ये कदम एकसाथ उठाए जा सकते हैं। इन कदमों के मिलेजुले प्रभाव परिणाम लेकर आ सकते हैं और यह जरूरी नहीं कि अलग-थलग तौर पर उठाया गया प्रत्येक कदम काफी हो।

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