बहन के शव को चौखट पर छोड़ परेड की सलामी लेने चले गए थे राजेन्द्र बाबू

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Dec, 2017 06:37 PM

भारत के इतिहास में 3 दिसम्बर 1884 का दिन सुनहरे अक्षरों से लिखा जाता है। आज का दिन भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद की जयंती के रुप में मनाया जाता है। रविवार को देश उनकी 133वीं जयंती मना रहा है। देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने अपनी जीवन...

पटनाः भारत के इतिहास में 3 दिसम्बर 1884 का दिन सुनहरे अक्षरों से लिखा जाता है। इस दिन को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद की जयंती के रुप में मनाया जाता है। आज देश उनकी 133वीं जयंती मना रहा है। 

देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने अपनी जीवन के कठिन समय में भी देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों को पूरा किया है। ऐसा ही एक किस्सा 26 जनवरी,1960 का है। देश के गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले 25 जनवरी, 1960 की रात उनकी बड़ी बहन भगवती देवी का निधन हो गया था। भगवती देवी केवल उनकी बहन ही नहीं बल्कि मां के समान थी। उनकी मृत्यु से राजेन्द्र प्रसाद को बहुत बड़ा झटका लगा। सारी रात वह अपनी बहन के मृत शरीर के पास बेसुध होकर बैठे रहे। 

सुबह होने पर जब घर के किसी सदस्य ने आकर याद दिलाया कि आज 26 जनवरी है और देश के राष्ट्रपति होने के नाते आपको गणतंत्र दिवस परेड की सलामी लेने जाना होगा। इतना सुनते ही राजेन्द्र प्रसाद ने अपना सारा गम अपने मन के अंदर समा लिया और देश के प्रति अपने कर्त्तव्य को निभाने के लिए उठ खड़े हुए। ऐसे थे हमारे देश के पहले राष्ट्रपति। 

गणतंत्र दिवस की सलामी को परेड लेने के बाद घर पहुंच कर राजेन्द्र प्रसाद अपनी बहन के शव से लिपट कर फूट-फूट कर रोए। उसके बाद उन्होंने बहन के अंतिम संस्कार के क्रम को पूर्ण किया।  

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