38 साल पहले भी बंद हुए थे बड़े नोट, एक्सचेंज के लिए लगी थीं लंबी लाइनें

Edited By ,Updated: 15 Nov, 2016 11:29 AM

38 years ago were closed big notes ban

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोट पर बैन लगाकर एक बड़ा कदम उठाया लेकिन यह पहली बार नहीं है कि लोगों को इस तरह लंबी लाइनों में खड़ा होना पड़ रहा है।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोट पर बैन लगाकर एक बड़ा कदम उठाया लेकिन यह पहली बार नहीं है कि लोगों को इस तरह लंबी लाइनों में खड़ा होना पड़ रहा है। 38 साल पहले भी बैंकों के बाहर ऐसा ही नजारा देखने को मिला था। 1978 में प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के कार्यकाल में 5000 और 10,000 के नोट बंद हुए थे। मोरार जी देसाई भी गुजराती थे। इसे इत्तेफाक ही कहा जा सकता है कि पीएम मोदी भी गुजरात से हैं जिन्होंने नोटबंदी पर बड़ा फैसला लिया है। मोरार जी देसाई के कार्यकाल में आरबीआई गवर्नर आईजी पटेल थे और अब उर्जित पटेल हैं।

मोरार जी देसाई ने यह फैसला काले धन और उससे चल रही समांनतर अर्थव्यवस्था को रोकने के लिए किया गया था। इस फैसले को हाई डेमोमिनेशन बैंक नोट एक्ट 1978 के तहत लागू किया गया था। इस कानून के तहत 16 जनवरी 1978 के बाद इन नोटों की मान्यता खत्‍म कर दी गई। बड़ी कीमत वाले नोटों को ट्रांसफर या रिसीव करने पर बैन लगा दिया गया। इसके साथ ही सभी बैंकों और सरकारी संस्थानों को रिजर्व बैंक को अपने पास मौजूद बड़े नोटों की जानकारी देनी थी। जिन लोगों के पास 5 और 10 हजार के नोट थे, वे बैंक में जाकर 24 जनवरी 1978 तक नोट एक्‍सचेंज करवा सकते थे।

हालांकि 1000 के नोट दोबारा अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में वापस आए। वहीं 2000 का नोट लाने वाले नरेंद्र मोदी पहले पीएम हैं। बता दें कि नोटबंदी के बाद से ही देश में अफरा-तफरी का माहौल है। पीएम मोदी ने 8 नवंबर की रात को अचानक नोट बंद की घोषणा की तो लोगों को नोट बदलवाने की चिंता बढ़ गई हालांकि सरकार लोगों को कुछ राहत दी है कि वे सरकारी अस्पताल, रेलवे, बस टिकट, पैट्रोल पंप पर 24 नवंबर तक पुराने नोटों को चला सकते हैं।

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