अफरा-तफरी के माहौल में लोगों का मेहनत का पैसा भी बन गया कालाधन

Edited By ,Updated: 14 Nov, 2016 12:30 PM

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पुरानी नकदी का चलना बंद होने से जहां एक ओर लोग अपने काले धन को सफेद करने की जुगाड़ में लगे हैं वहीं देश में कर चोरी की प्रवृत्ति और अचानक नोट बंद होने से मची अफरा-तफरी में अनेक लोगों की मेहनत का सफेद धन भी काले धन में बदल गया है।

नई दिल्ली: पुरानी नकदी का चलना बंद होने से जहां एक ओर लोग अपने काले धन को सफेद करने की जुगाड़ में लगे हैं वहीं देश में कर चोरी की प्रवृत्ति और अचानक नोट बंद होने से मची अफरा-तफरी में अनेक लोगों की मेहनत का सफेद धन भी काले धन में बदल गया है।  सरोजनी नगर की एक महिला ने अपना मकान 50 लाख रुपए में बेचने का सौदा किया। महिला ने सरकारी कर की चोरी और मकान बेचने की लिखा-पढ़ी का खर्च बचाने के लिए खरीदार से मकान को कानूनी तौर पर 10 लाख रुपए में बेचने और बाकी का 40 लाख रुपए नकदी में लेने की शर्त रखी। 
 

शर्त के आधार पर दोनों के बीच मकान खरीद-बिक्री का सौदा हो गया लेकिन इसी बीच सरकार द्वारा पुराने नोटों का चलन बंद किए जाने के निर्णय से अब मकान मालकिन को पूरे 40 लाख रुपए की चपत लग गई। नोट बंद होने के निर्णय के बाद अब खरीदार तो 40 लाख रुपए देने के लिए खुशी-खुशी राजी है लेकिन महिला आयकर छापे और इसे वैध नहीं कर पाने के डर से पैसा लेने से खुद ही मुकर गई। 
 

इसी प्रकार एक अधिकारी ने सेवानिवृत्ति से मिलने वाली राशि को राजधानी में मकान खरीदने के लिए अपने 2 बेटों के बीच 30-30 लाख रुपए में बांट दिया। मकान बेचने वाले बिल्डर ने भी सरकारी कर की चोरी और खरीद-बिक्री के खर्च से बचने के लिए खरीदारों को 60 प्रतिशत राशि नकदी और 40 प्रतिशत राशि चैक के जरिए अदा करने का प्रस्ताव दिया।  अपना-अपना सरकारी खर्च बचाने के लिए खरीदारों ने 60 प्रतिशत राशि नकदी में दे दी जो अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अचानक नोट बंद करने की घोषणा के बाद सफेद होने के बावजूद अपने आप ही काले धन में बदल गई।


 

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