Edited By ,Updated: 20 Jun, 2016 04:34 PM
52 साल की उम्र में दसवीं के पेपर देना और फिर 44.83 प्रतिशत अंकों के साथ परीक्षा पास करना ये कोई...
जयपुर: 52 साल की उम्र में दसवीं के पेपर देना और फिर 44.83 प्रतिशत अंकों के साथ परीक्षा पास करना ये कोई आसान काम नहीं है। इस काम को बड़ी बाखूबी के साथ अंजाम दे चुके हैं भरतपुर के मेयर शिव सिंह। हाल ही में दसवीं की परीक्षा राजस्थान माध्यमिक शिक्षा परीक्षा मंडल से पास करने वाले शिव सिंह की पढ़ाई 1972 छूट गई थी।
दिन में निपटा लेते थे जरूरी काम
शिव सिंह बताते हैं कि मेयर होने के कारण मुझे बहुत से जरूरी काम होते थे लेकिन मैंने पढ़ाई के लिए इन सारे कार्यों को दिन में निपटाना ही शुरू कर दिया। मैं रात को रोजाना दो घंटे पढ़ाई करता था। शिव बताते हैं कि वे हाल ही में विदेश गए। वहां अंग्रेजी बोलने में उन्हें काफी परेशानी हुई। अंग्रेजी बोल पाने में असमर्थ होने पर इस असमर्थता को दूर करने का फैसला किया।
दसवीं करने का एक कारण ये भी
शिव सिंह के दसवीं करने का एक और कारण हो सकता है। दरअसल नए नियमों के मुताबिक नगर निगम के चुनावों में व्यक्ति का दसवीं पास होना अनिवार्य है और सिंह भी चुनाव लडऩा चाहते हैं। पद के लिए चुनाव में उन्हें इससे मदद मिलेगी।