कैबिनेट में 76 मंत्री, गांव गोद लेने में 49 फिसड्डी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Jan, 2018 10:32 AM

76 ministers in cabinet  49 slip in village adoption

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 11 अक्तूबर 2014 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जन्मदिवस के मौके पर लांच की गई सांसद आदर्श ग्राम योजना को प्रधानमंत्री के अपनों ने ही पलीता लगा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित केंद्रीय कैबिनेट के 76 में से महज...

नेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 11 अक्तूबर 2014 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जन्मदिवस के मौके पर लांच की गई सांसद आदर्श ग्राम योजना को प्रधानमंत्री के अपनों ने ही पलीता लगा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित केंद्रीय कैबिनेट के 76 में से महज 22 मंत्रियों ने ही प्रधानमंत्री की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत तीसरे चरण में गांवों को गोद लिया है, सरकार में 3 मंत्री नए शामिल किए गए हैं, इनमें हरदीप पुरी, के.जे. अलफोंस और पुरुषोत्तम रुपाला शामिल हैं, जबकि 2 मंत्री विजय गोयल और एम.जे. अकबर 2014 में गांव गोद लेने के पहले चरण के दौरान मंत्री नहीं थे लेकिन इन्होंने दूसरे व तीसरे चरण में गांव गोद लिए हैं, जबकि 49 मंत्रियों ने तीसरे चरण में गांवों को गोद लेने में रुचि नहीं दिखाई है। इनमें से 16 मंत्री ऐसे हैं, जिन्होंने पहले चरण के बाद ही इस योजना को नजरअंदाज कर दिया, जबकि 33 मंत्री ऐसे हैं, जिन्होंने तीसरे चरण में गांव गोद नहीं लिए हैं। पंजाब केसरी के संवाददाता नरेश कुमार इस योजना के पूरे विश्लेषण के बाद बता रहे हैं कि गांवों के विकास की पी.एम. की यह योजना कैसे पटरी से उतरती नजर आ रही है।

क्या था लक्ष्य
इस योजना के तहत मार्च 2019 तक हर संसदीय क्षेत्र से 3 गांवों को विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसका मतलब है कि सरकार द्वारा 2019 तक लोकसभा के 543&3 यानी कि 1629 और राज्यसभा के 245&3 यानी 735 गांवों को विकसित करने का लक्ष्य रखा गया था। योजना का तीसरा चरण शुरू हो चुका है लेकिन योजना के तहत गांव गोद लेने में लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के सदस्यों की रुचि इसमें घटती जा रही है। पहले चरण में लोकसभा के 500 और राज्यसभा के 203 सदस्यों ने गांव गोद लिए थे और कुल 703 गांव गोद लिए गए लेकिन दूसरे चरण में लोकसभा के 324 और राज्यसभा के 121 सदस्यों ने गांव गोद लिए यानी कि दूसरे सदन में कुल 425 गांव गोद लिए गए। तीसरे चरण में अभी तक लोकसभा के 94 और राज्यसभा के 27 सदस्यों ने गांव गोद लिए हैं। अब तक गोद लिए गए गांवों की कुल संख्या 1269 बनती है जबकि मार्च 2019 तक 2364 गांवों को विकसित करने का लक्ष्य रखा  गया है।
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ऐसे होना था विकास
इस योजना के तहत 3000 से लेकर 5000 की आबादी तक के गांवों के चयन के बाद उनके विकास के लिए सर्वे किया जाना था। सर्वे के बाद गांव के विकास की योजना बनाकर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय को भेजी जानी थी। चुने गए गांवों में विकास के लिए केंद्र व राज्यों की योजनाओं को जल्द लागू करने और योजना लागू करने के नियमों में छूट देने का प्रावधान रखा गया था। सरकार का इरादा ऐसे माडल गांव बनाने का था जिन्हें देखकर आसपास के गांव भी विकसित हो सकें। लेकिन यह योजना उम्मीद के मुताबिक सफल होती नजर नहीं आ रही।

विपक्ष की भी दिलचस्पी नहीं, राहुल-सोनिया ने पहले चरण के बाद गोद नहीं लिए गांव
सरकार के अपने मंत्री ही जब प्रधानमंत्री की इस योजना में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे तो विपक्ष इसमें कैसे रुचि ले सकता है। कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने पहले चरण में अमेठी के जगदीशपुर गांव को गोद लिया लेकिन दूसरे व तीसरे चरण में उन्होंने गांव गोद लेने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसी तरह सोनिया गांधी ने पहले चरण में रायबरेली में उर्वी गांव को गोद लिया लेकिन दूसरे व तीसरे चरण में कोई गांव गोद नहीं लिया। राज्यसभा में कांग्रेस के चेहरे गुलाम नबी आजाद ने पहले चरण में बारथी गांव को गोद लिया लेकिन दूसरे व तीसरे चरण में कोई गांव गोद नहीं लिया। गैर कांग्रेसी विपक्षी नेताओं में मायावती ने पहले चरण में मल्ल व दूसरे चरण में परेहाटा गांव को गोद लिया जबकि तीसरे चरण में कोई गांव गोद नहीं लिया। इसी तरह शरद यादव ने पहले चरण में बालम गधिया व दूसरे चरण में घाइलर गांव को गोद लिया जबकि तीसरे चरण में कोई गांव गोद नहीं लिया गया है।
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इन मंत्रियों ने दूसरे व तीसरे चरण में नही दिखाई दिलचस्पी
भाजपा शासित राज्यों में दिलचस्पी नहीं

2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को गुजरात में 26, राजस्थान में 25, यू.पी. में 73, हिमाचल प्रदेश में 4, उत्तराखंड में 5 और बिहार में 22 सीटें हासिल हुई थीं और इन राज्यों में सरकार भी भाजपा की है लेकिन इन सारे राज्यों के सांसदों ने तीसरे चरण में गांव गोद लेने में अभी तक पूरी दिलचस्पी नहीं दिखाई है। तीसरे चरण में गुजरात में 3, बिहार में 5, राजस्थान में 5 गांवों को गोद लिया गया है जबकि उत्तराखंड व हिमाचल में लोकसभा के सदस्यों ने तीसरे चरण में कोई गांव गोद नहीं लिया है। उत्तर प्रदेश में पहले चरण में 79 गांव गोद लिए गए थे जबकि तीसरे चरण में अभी तक 43 गांव ही गोद लिए गए हैं।

इन 9 मंत्रियों ने भी डुबोई लुटिया
केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल भाजपा की सहयोगी पार्टी के बिहार से नेता मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री उपेन्द्र कुशवाहा, दिल्ली की चांदनी चौक सीट से भाजपा सांसद व पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन सिंह, राज्यसभा सदस्य, वित्त राज्यमंत्री, आदिवासी मामलों के मंत्री जुआल औरम व जसवंत सिंह भमौर, शिपिंग राज्यमंत्री पी. राधाकृष्णन, आयुष राज्यमंत्री श्रीपद नाईक, पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास राज्यमंत्री डा. जतिन्द्र सिंह और रेल राज्यमंत्री राजेन गोहेन ने भी तीसरे चरण में गांव गोद लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है।

शीर्ष मंत्रियों की रुचि नहीं
केंद्र सरकार के शीर्ष मंत्री ही इस योजना को गंभीरता से नहीं ले रहे। ट्रांसपोर्ट मंत्री नितिन गडकरी ने पहले चरण में पंचगांव को गोद लिया था लेकिन दूसरे और तीसरे चरण में कोई गांव गोद नहीं लिया गया। इसी तरह केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने पहले चरण में रागीहाली गांव गोद लिया जबकि दूसरे व तीसरे चरण में कोई गांव गोद नहीं लिया। यही हाल केंद्रीय टैलीकॉम मंत्री रवि शंकर प्रसाद का है जिन्होंने पहले चरण में अलावलपुर गांव गोद लिया था लेकिन दूसरे व तीसरे चरण में कोई गांव गोद नहीं लिया। अनंत गीते ने भी पहले चरण में दिव्यानगर गांव को गोद लिया था जबकि दूसरे व तीसरे चरण में कोई गांव गोद नहीं लिया है।

इनके अलावा एच.एस. आहलूवालिया, रमेश चंदप्पा, रामदास अठावले, हरिभाई चौधरी, अश्विनी  कुमार चौबे, वीरेंद्र कुमार, अनंत कुमार हेगड़े, अजय टाम्टा, सुभाष भामरे, श्रीपद नायक, गिरीराज सिंह, राज कुमार सिंह जैसे केंद्रीय मंत्रियों ने भी पहले चरण में तो गांव गोद लिए लेकिन दूसरे व तीसरे चरण में गांव गोद लेने में रूचि नहीं दिखाई है।

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